महा शिवरात्रि और महाकाल की महिमा

पूरे साल में 12 शिव-त्योहर होते है जिसमें से एक महाशिवरात्रि को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है।

Updated : 23 February 2017, 7:20 PM IST
google-preferred

नई  दिल्ली: फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन शिव-रात्रि का यह पर्व बहुत ही धूम-धाम से पूरे भारत में मनाया जाता है। इतिहास के शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि जब सृष्टि का प्रारंभ होने वाला था तो इसी दिन मध्य-रात्रि भगवान शंकर का ब्रह्मा से रूद्र के रूप में अवतार हुआ था।                     

 

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है ?

पहली ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इसलिए इस दिन को महाशिवरात्रि कहा जाता है।

 

पूरे साल में 12 शिव-त्योहर होते है जिसमे से एक महाशिवरात्रि को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है।

महा शिव रात्रि का पर्व बहुत सालों से प्रचलित है, हर वर्ष सभी श्रद्धालु इसे बड़े हर्ष और उल्लास से मनाते है।

यह एक वार्षिक त्यौहार है, जो हर वर्ष चतुर्थी तिथि को फाल्गुन माह के कृष्णा पक्ष में मनाया जाता है। ऐसा प्रचलित है की शिव रात्रि की रात सबसे काली रात होती है. यह रात प्रतीक है की कैसे हम सभी मनुष्य अपने जीवन में से सभी दुःख, दर्द, कठिनाइयों को भूलकर एक ख़ुशी भरा जीवन व्यतीत कर सकते है।

 

इस दिन सभी शिव भक्तो में एक अलग ही ऊर्जा और उमंग दिखाई पड़ता है. सभी इस दिन भोले नाथ की भक्ति में मगन रहते है। वे उपवास करते है, सारा दिन महादेव के नाम का जाप करते है। इस दिन सच्चे मन से “ॐ नमः शिवाय”, का जाप करने से हमारा मन शांत होता है, हमारी आत्मा पवित्र हो जाती है।

 

इस दिन सभी श्रद्दालु रात्रि में भोले नाथ के नाम भोले नाथ के नाम का जागरण करते है। वे इस दिन पूरी तरह से भोले नाथ के भजन में मगन हो जाते है, और ईश्वर से सिर्फ एक ही प्रार्थना करते है, की उनका जीवन सुखमयी हो। उनके जीवन में कोई विपदाएं न आये।  

 

वर्ष 2017 में महाशिवरात्रि का व्रत 24 फरवरी को मनाया जाएगा।

पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन भोलेनाथ की शादी मां शक्ति के संग हुई थी, जिस कारण भक्तों के द्वारा रात्रि के समय भगवान शिव की बारात निकाली जाती है। इस पावन दिवस पर शिवलिंग का विधि पूर्वक अभिषेक करने से मनोवांछित फल प्राप्त होता है।

महा शिवरात्रि के अवसर पर रात्रि जागरण करने वाले भक्तों को शिव नाम, पंचाक्षर मंत्र अथवा शिव स्त्रोत का आश्रय लेकर अपने जागरण को सफल करना चाहिए।

Published : 
  • 23 February 2017, 7:20 PM IST

Related News

No related posts found.