उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू का पहला साल रहा बेमिसाल, बने कई रिकार्ड

डीएन ब्यूरो

उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने एक साधारण राजनीतिक कार्यकर्ता से अपने सफर की शुरूआत की और पिछले साल देश के 13 वें उप राष्ट्रपति बनने का गौरव हासिल किया। उनके पहले साल का कार्यकाल कई मायनों में खास रहा। डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..

एम. वेंकैया नायडू (फाइल फोटो)
एम. वेंकैया नायडू (फाइल फोटो)


नई दिल्ली: देश के 13वें उपराष्ट्रपति के रूप में एम. वेंकैया नायडू ने पद की गरिमा के अनुरूप एक साल की अवधि में कई नये इतिहास रचे। नायडू ने इस अवधि में देश के लगभग सभी राज्यों की यात्रा की और रोजाना लगभग 450 लोगों से मिलने का रिकार्ड बनाया। उन्होंने राज्यसभा के सभापति के रूप में इस अवधि में संसदीय कार्यवाही का शानदार संचालन किया और सदस्यों में एक नई ऊर्जा का संचार किया। सबसे अधिक लाभान्वित पहली बार चुने गये सदस्य हुए जिन्होंने नायडू से काफी कुछ सीखा।

 

तीज के त्यौहार पर उप राष्ट्रपति

 

महज एक साल में 28 राज्यों का रिकार्ड दौरा

एक साल के कार्यकाल में उप राष्ट्रपति के रूप में नायडू ने देश के 28 राज्यों का दौरा करने के साथ ही 56 विश्वविद्यालयों का भी दौरा किया और 29 दीक्षांत समारोहों को संबोधित किया। जहां उन्होंने एक उप राष्ट्रपति के अलावा शिक्षक की तरह छात्रों को प्ररित किया और हर समारोह में एक नई सीख देने की कोशिश की।

 

राज्य सभा की कार्यवाही का संचालन करते हुए

 

‘डिबेट, डिस्कस, डिसाइड एंड डू नोट डिस्टर्ब’

नायडू का पहला वर्ष देश के लिये कई मायनों में यादगार रहा। राज्यसभा के सभापति के रूप में नायडू के कई सराहनीय और प्रेरक कोट्स भी दिये- जैसे ‘डिबेट, डिस्कस, डिसाइड एंड डू नोट डिस्टर्ब’ (सरकार को प्रस्ताव रखने दो, बहस करो, विपक्ष को भी विरोध करने दो लेकिन सदन को अपना काम करने दो) आदि। उनका यह कोट्स राज्यसभा के सदस्यों के बीच काफी लोकप्रिय रहा हैं। यह कोट्स संसद में कार्य करने के तरीके को सही तरह से दर्शाता है। 

 

 

विभिन्न लोगों से मुलाकात करते हुए नायडू

 

या तो आप चर्चा करें या बाहर चले जाएं लेकिन गतिरोध पैदा न करें

एक वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के के मौके पर उप राष्ट्रपति ने संसद में बार-बार होने वाले गतिरोध पर भी चिंता जाहिर करते हुए संसदीय कार्य तरीकों पर भी अपनी बेबाक राय रखी। नायडू ने कहा कि संसद में काम करने के दो ही तरीके है- या तो आप चर्चा करें या बाहर चले जाएं लेकिन गतिरोध पैदा न करें। उन्होंने कहा कि संसद में गतिरोध पैदा करने से लोकतंत्र ही खत्म हो जायेगा।  

'प्रभावशाली भागीदारी'

उप राष्ट्रपति के तौर पर एक साल पूरा करने वाले नायडू ने अपने अब तक के कार्यकाल को शानदार बताया। उन्होंने बताया कि इस दौरान उन्होंने देश भर में दौरे किए और छात्रों, युवाओं, किसानों, विज्ञान और रिसर्च से जुड़ी गतिविधियों व संस्कृति से जुड़े कार्यक्रमों में 'प्रभावशाली भागीदारी' की। 

जीवन के प्रमुख वर्ष

आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले के चावटपलेम में 1 जुलाई 1949 को एक कम्मू परिवार में जन्में वेंकैया नायडू ने आन्ध्र विश्वविद्यालय, विशाखापत्तनम से कानून में स्नातक की डिग्री हासिल की। 1974 में वे छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे। लोकनायक जयप्रकाश नारायण की विचारधारा से प्रभावित होकर नायडू ने आपातकालीन संघर्ष में भी हिस्सा लिया। उन्होंने भाजपा में एक साधारण कार्यकर्ता की भूमिका में भी काम किया। आपात काल के बाद वे 1977 से 1980 तक जनता पार्टी के युवा शाखा के अध्यक्ष रहे। वर्ष 2002 से 2004 तक उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का उतरदायित्व निभाया। वे वाजपेयी सरकार में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री भी रहे। मोदी सरकार में वे शहरी विकास, आवास तथा शहरी गरीबी उन्‍मूलन, सूचना एवं प्रसारण तथा संसदीय कार्य मंत्री रहे। नायडू ने पिछले वर्ष 11 अगस्त को देश के 13वें उप राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी।

 

उप राष्ट्रपति और महासचिव देश दीपक वर्मा

 

 

हर दिन कुछ नया करना चाहते हैं उप राष्ट्रपति- देश दीपक वर्मा, महासचिव

उप राष्ट्रपति के पहले साल के कार्यकाल के बारे में राज्यसभा के महासचिव देश दीपक वर्मा से डाइनामाइट न्यूज़ ने बातचीत की तो उन्होंने बताया कि उप राष्ट्रपति के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खास बात ये है कि वे मानवीय संवेदनाओं से भरे एक बेहतरीन इंसान है और हर गरीब के चेहरे पर मुस्कान देखना चाहते हैं। उनका पहला साल कई मायनों में खास रहा। उन्होंने अपना हर एक दिन राष्ट्र की सेवा में व्यतीत किया है। एक साल के दौरान वे लगातार लोगों से मिलने से लेकर, विभिन्न कार्यक्रमों में शिरकत करते दिखे तो वहीं पर राज्यसभा की कार्यवाही का शानदार संचालन किया। 










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