

बंशी गुर्जर तो मर गया था, लेकिन वापस कैसे लौटा। इस मामले में एक आईपीएस सवालों के घेरे में है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की खास रिपोर्ट
मध्यप्रदेश: चर्चित फर्जी एनकाउंटर मामले की जांच अब तेज हो गई है। इसकी आंच बड़वानी जिले तक पहुंच गई है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, सीबीआई की कार्रवाई की जद में अब बड़वानी जिले के एडिशनल एसपी अनिल पाटीदार भी आ गए हैं, जो इन दिनों संदिग्ध हालातों में लापता हैं। बताया जा रहा है कि सीबीआई की सख्ती से बचने के लिए उन्होंने अपनी मां की बीमारी का हवाला देकर छुट्टी ली और 2 अप्रैल को इंदौर स्थित अपने घर चले गए। इसके बाद से उनका मोबाइल फोन बंद है और उनसे कोई संपर्क नहीं हो पा रहा।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला वर्ष 2009 में नीमच जिले में हुए उस एनकाउंटर से जुड़ा है, जिसमें कुख्यात अपराधी बंसी गुर्जर को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया गया था। पुलिस ने दावा किया था कि बंसी ने राजस्थान के जोधपुर में पुलिस पर हमला कर आरोपी रतनलाल मीना को भगाया था। इसके बाद नीमच पुलिस ने दो विशेष दल गठित कर बंसी को तलाशा और कथित मुठभेड़ में मार गिराया। उस वक्त इस कार्रवाई को बड़ी उपलब्धि बताते हुए तत्कालीन एसपी वेद प्रकाश और एसडीओपी अनिल पाटीदार समेत 20 पुलिसकर्मियों ने जमकर वाहवाही लूटी थी।
फिर जिंदा लौटा था बंशी गुर्जर
लेकिन मामला तब पलटा, जब 2012 में उज्जैन के तत्कालीन आईजी उपेंद्र जैन की टीम ने बंसी गुर्जर को जिंदा पकड़ लिया। बंसी ने खुद कबूल किया कि उस पर कई गंभीर अपराध दर्ज थे और उसने पुलिस से बचने के लिए खुद को फर्जी तरीके से मृत घोषित करने की साजिश रची थी। यह भी खुलासा हुआ कि उसी के कहने पर एक अन्य आरोपी घनश्याम धाकड़ ने भी खुद को मृत दिखाने की योजना बनाई थी।
CBI की जांच
फर्जी एनकाउंटर की जांच पहले CID को सौंपी गई थी, लेकिन बाद में हाईकोर्ट में दाखिल याचिका के बाद 2014 में यह मामला CBI को ट्रांसफर कर दिया गया। जांच में तेजी लाते हुए CBI ने बीते मंगलवार को रामपुरा थाना के तत्कालीन प्रभारी रहे डीएसपी ग्लैडविन एडवर्ड कार और तत्कालीन आरक्षक नीरज प्रधान (अब प्रधान आरक्षक) को समन भेजा और बाद में गिरफ्तार कर लिया। इनसे दो दिन की पुलिस रिमांड में गहन पूछताछ की जा रही है।
अनिल पाटीदार की भूमिका
सीबीआई की इस कार्रवाई के बाद बड़वानी के एएसपी अनिल पाटीदार समेत अन्य पुलिस अधिकारी भी संभावित गिरफ्तारी से बचने की कोशिशों में जुट गए हैं। बताया जा रहा है कि अनिल पाटीदार राज्यसभा की एक महिला सांसद के संपर्क में हैं और उनसे राजनीतिक संरक्षण की तलाश कर रहे हैं। बड़वानी एसपी जगदीश डाबर ने पुष्टि की कि एएसपी पाटीदार ने 2 अप्रैल को अपनी मां की तबीयत खराब होने का हवाला देते हुए शासकीय वाहन, चालक और गनमैन के साथ इंदौर गए थे। अगले दिन उन्होंने व्हाट्सएप पर 10 से 12 दिन की छुट्टी की मांग की थी, जिसके बाद चालक और गनमैन वाहन के साथ लौट आए। तब से उनका मोबाइल फोन स्विच ऑफ है।
बड़वानी में दूसरी पोस्टिंग, पहले भी रह चुके हैं चर्चा में
अनिल पाटीदार की यह बड़वानी जिले में दूसरी पोस्टिंग है। इससे पहले वे सेंधवा में एसडीओपी के पद पर भी कार्यरत रह चुके हैं। अब जब फर्जी एनकाउंटर का मामला तेजी से तूल पकड़ रहा है, तो उनके पिछले कार्यकाल की गतिविधियों पर भी सवाल उठने लगे हैं। सीबीआई की अगली कार्रवाई में अनिल पाटीदार की गिरफ्तारी भी संभावित मानी जा रही है। फिलहाल, उनका मोबाइल बंद होने और अचानक गायब हो जाने से अफसरशाही में हड़कंप मचा हुआ है। मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई अब अन्य पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध भी शिकंजा कसने की तैयारी में है।