नौसेना में शामिल किया गया ‘आईएनएस इंफाल’
विस्तारित दूरी की सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल दागने की क्षमता से लैस ‘स्टेल्थ गाइडेड’ मिसाइल विध्वंसक आईएनएस इंफाल को मंगलवार को मुंबई में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
मुंबई: विस्तारित दूरी की सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल दागने की क्षमता से लैस ‘स्टेल्थ गाइडेड’ मिसाइल विध्वंसक आईएनएस इंफाल को मंगलवार को मुंबई में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।
सिंह के अलावा, नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी युद्धपोत को औपचारिक रूप से नौसेना में शामिल करने के कार्यक्रम में उपस्थित थे।
आईएनएस इंफाल नौसेना द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन किए गए 'विशाखापत्तनम' श्रेणी के चार विध्वंसक युद्धपोतों में से तीसरा युद्धपोत है। इसे नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है और यह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम मझगांव डॉक लिमिटेड, मुंबई द्वारा निर्मित है।
यह पहला युद्धपोत है जिसका नाम पूर्वोत्तर के किसी शहर के नाम पर रखा गया है।
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बंदरगाह और समुद्र में व्यापक परीक्षण कार्यक्रम पूरा करने के बाद आईएनएस इंफाल को 20 अक्टूबर को भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया था।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार नौसेना ने कहा, 'इसके बाद, पोत ने नवंबर 2023 में विस्तारित दूरी की सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, सेवा में शामिल किए जाने से पहले किसी भी स्वदेशी युद्धपोत के लिए पहली बार ऐसा किया गया था।'
इसने कहा कि इसकी लंबाई 163 मीटर और वजन 7,400 टन है तथा इसे 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री के साथ भारत में निर्मित सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक माना जाता है।
आईएनएस इंफाल 30 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है और यह सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल तथा सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों जैसे परिष्कृत ‘अत्याधुनिक’ हथियारों और सेंसर से लैस है। इस युद्धपोत में एक आधुनिक निगरानी रडार लगा है, जो इसकी हथियार प्रणालियों को लक्ष्य का डेटा प्रदान करता है।
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नौसेना के अनुसार, यह युद्धपोत परमाणु, जैविक और रासायनिक (एनबीसी) युद्ध के हालात में भी लड़ने में सक्षम है।
युद्धपोत का निर्माण 19 मई 2017 को शुरू हुआ था और इसे 20 अप्रैल 2019 को पानी में उतारा गया था। 28 अप्रैल 2023 को यह अपने पहले समुद्री परीक्षण के लिए रवाना हुआ और बंदरगाह तथा समुद्र दोनों में परीक्षणों का एक समग्र कार्यक्रम पूरा कर लिया। यह छह महीने की रिकॉर्ड समयसीमा के भीतर 20 अक्टूबर 2023 को नौसेना को सौंप दिया गया जो इस आकार के जहाज के लिए सर्वाधिक तेज प्रक्रिया है।