Indira Gandhi Death Anniversary: जानिए देश की इकलौती महिला पीएम इंदिरा गांधी के बारे में
आज देश देश की पूर्व पीएम आइरन लेडी इंदिरा गांधी की 40वीं पुण्यतिथि मना रहा है है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली: आज 31 अक्तूबर को देश (India) की इकलौती महिला पीएम (Only Woman PM) और आइरन लेडी के नाम से मशहूर इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की पुण्यतिथि (Death Anniversary) मनाई जा रही है। इंदिरा नारी शक्ति का बेमिसाल प्रतीक हैं। जिन्होंने अपने अभूतपूर्व योगदान और कार्यों के जरिए सुनहरे अक्षरों में इतिहास के पन्नों पर अपना नाम दर्ज कराया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार इंदिरा गांधी ने 1966 से 1977 के बीच लगातार तीन बार देश की बागडोर संभाली और उसके बाद 1980 में दोबारा इस पद पर पहुंचीं और 31 अक्टूबर 1984 को पद पर रहते हुए ही उनकी हत्या कर दी गई।
आजादी के 76 साल में इंदिरा गांधी के बाद से अब तक देश को कोई महिला प्रधानमंत्री नहीं मिली। बतौर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल में बहुत दमदार फैसले लिए, जिन्होंने पूरे देश में क्रांति ला दी थी। जवाहरलाल नेहरू की राजनीतिक विरासत को संभालते हुए इंदिरा गांधी ने 'गूंगी गुड़िया' के तमगे को हटाया और दमदार महिला के रूप में खुद की पहचान बनाई।
जवाहर लाल नेहरू के घर में थी जन्मी
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19 नवंबर 1917 को इंदिरा गांधी का जन्म जवाहर लाल नेहरू के घर पर हुआ था। एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाली इंदिरा में भी गजब की राजनीतिक दूरदर्शिता थी। महज 11 वर्ष की आयु में इंदिरा ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ बच्चों की वानर सेना बनाई थी। 1938 में वह औपचारिक तौर पर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुईं। जब जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री बने तो इंदिरा गांधी ने उनके साथ काम करना शुरू किया।
इंदिरा गांधी को राजनीति विरासत में मिली थी। पिता के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी में इंदिरा गांधी की प्रतिष्ठा बढ़ी। इंदिरा को देश के नेता के तौर पर देखा जाने लगा। लाल बहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया। शास्त्री जी के निधन के बाद 1966 में इंदिरा गांधी को देश के शक्तिशाली पद यानी प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला। 'गूंगी गुड़िया' कही जाने वाली इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद ऐसे फैसले लिए जिसकी गूंज दुनिया भर तक पहुंची।
इंदिरा गांधी के दमदार फैसले
बैंकों का राष्ट्रीयकरण
इंदिरा गांधी ने बैंकों का लाभ हर वर्ग तक पहुंचाने के लिए बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया। 1966 में भारत में केवल 500 बैंक शाखाएं थीं। लेकिन आम आदमी बैंक में पैसा जमा कर सके इसके लिए उनका यह फैसला देश के विकास में अभूतपूर्व रहा। हालांकि उनके इस फैसले की काफी आलोचना हुई थी।
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कांग्रेस का विभाजन
इंदिरा गांधी के सत्ता में आने के बाद लोग समझ गए कि इस महिला को रोक पाना मुश्किल है। कांग्रेस सिंडिकेट ने इंदिरा को पद से हटाने की तैयारी शुरू कर दी। इंदिरा ने पार्टी का विभाजन कर उल्टा दांव खेला। उनके इस फैसले को राजनीति के दौर का सबसे दबंग और हिटलरशाही फैसला माना गया।
पाकिस्तान से जंग और बांग्लादेश का उदय
भारत से अलग होने के बाद पाकिस्तान ने कब्जा नीति शुरू कर दी। इस कारण बड़ी संख्या में बंगाली शरणार्थी भारत आने लगे। उस दौर में पाकिस्तान को अमेरिका का समर्थन था। लेकिन इंदिरा किसी से डरी नहीं और पूर्वी पाकिस्तान पर हमला कर उस इलाके को आजाद कराया व बांग्लादेश का निर्माण किया।
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