मीथेन उत्सर्जन रोकने के लिए जैविक अपशिष्ट निपटान को चरणबद्ध तरीके से हटाए भारत : सीएसई रिपोर्ट

डीएन ब्यूरो

भारत को पुराने अपशिष्ट कचरा स्थल और जैविक अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं से मीथेन उत्सर्जन का सटीक अनुमान लगाने के लिए राष्ट्रव्यापी अध्ययन करना चाहिए तथा ‘लैंडफिल साइट’ में जैविक रूप से नष्ट होने वाले अपशिष्ट के निस्तारण को तत्काल चरणबद्ध करना चाहिए। विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सीएसई) ने एक नयी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

जैविक अपशिष्ट
जैविक अपशिष्ट


नयी दिल्ली: भारत को पुराने अपशिष्ट कचरा स्थल और जैविक अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं से मीथेन उत्सर्जन का सटीक अनुमान लगाने के लिए राष्ट्रव्यापी अध्ययन करना चाहिए तथा ‘लैंडफिल साइट’ में जैविक रूप से नष्ट होने वाले अपशिष्ट के निस्तारण को तत्काल चरणबद्ध करना चाहिए। विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सीएसई) ने एक नयी रिपोर्ट में यह सिफारिश की है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक ‘भारत में खुले कचरास्थलों से मीथेन उत्सर्जन: अनुमान और रोकथाम रणनीतियां’ विषय पर स्वतंत्र विचारक संस्था की रिपोर्ट में जैविक अपशिष्ट प्रसंस्करण से उत्पन्न कम उत्सर्जन वाले उत्पादों के लिए ठोस बाजार के निर्माण के महत्व और ‘बायोमाइनिंग’ परियोजनाओं के लिए ‘कार्बन क्रेडिट’ के महत्व पर भी जोर दिया था।

‘कार्बन क्रेडिट’ किसी देश या संगठन को एक निश्चित मात्रा में कार्बन उत्सर्जन की अनुमति देता है जबकि ‘बायोमाइनिंग’ कचरा/अपशिष्ट जैव जीवों या प्राकृतिक तत्वों जैसे हवा और सूर्य की रोशनी से शोधित कर धातु अलग करने की प्रक्रिया है।

यह भी पढ़ें | CSE की नई रिपोर्ट में सामने आई दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण की सच्चाई

रिपोर्ट में उठाई गई एक प्रमुख चिंता नगर निकायों के ठोस अपशिष्ट और मीथेन उत्सर्जन से संबंधित आंकड़े की अविश्वसनीयता और असमानता से जुड़ी है। इस मुद्दे को हल करने के लिए रिपोर्ट ‘प्रथम-क्रम क्षय’ (एफओडी) विधि का उपयोग करने का सुझाव देती है, जो लैंडफिल साइट से मीथेन उत्सर्जन का अधिक सटीक अनुमान लगाने के लिए क्षेत्र के आंकड़े और प्राथमिक अनुसंधान पर निर्भर करती है।

सीएसई की रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘प्रत्येक पुराने अपशिष्ट कचरा स्थल और जैविक अपशिष्ट प्रसंस्करण केंद्रों से मीथेन और अन्य जीएचजी (हरित गैसों) के अनुमान पर एक अखिल भारतीय अध्ययन आयोजित करने की आवश्यकता है। कचरा स्थल से उत्पन्न होने वाली मीथेन की मात्रा और अन्य अपशिष्ट प्रबंधन-संबंधी गतिविधियों पर डेटा की कमी है।’’

सीएसई ने कहा, ‘‘व्यापक स्तर पर मीथेन माप और निगरानी रणनीतियों की एक प्रणाली बनाने से नीति निर्माताओं और नियामकों को अपशिष्ट क्षेत्र, विशेष रूप से कचरा स्थलों से मीथेन उत्सर्जन को कम करने के लिए डेटा-संचालित, विज्ञान-आधारित लक्ष्य विकसित करने में सक्षम बनाया जाएगा।’’

यह भी पढ़ें | हैदराबाद टेस्ट : बांग्लादेश ने गंवाए 6 विकेट

 










संबंधित समाचार