भारत-पाकिस्तान ने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची का आदान-प्रदान किया
तीन दशक से अधिक समय से जारी सिलसिले को बरकरार रखते हुए भारत और पाकिस्तान ने सोमवार को एक द्विपक्षीय समझौते के तहत अपने-अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची का आदान-प्रदान किया। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: तीन दशक से अधिक समय से जारी सिलसिले को बरकरार रखते हुए भारत और पाकिस्तान ने सोमवार को एक द्विपक्षीय समझौते के तहत अपने-अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची का आदान-प्रदान किया।
यह समझौता दोनों पक्षों को एक-दूसरे के परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला करने से रोकता है। यह एक वार्षिक सिलसिला है जो 1992 में शुरू हुआ था।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि सूची का आदान-प्रदान परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले को रोकने वाले एक समझौते के प्रावधानों के तहत हुआ।
इसने कहा कि नयी दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच राजनयिक चैनल के माध्यम से समानांतर रूप से सूची का आदान-प्रदान किया गया।
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विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारत और पाकिस्तान ने आज राजनयिक चैनल के माध्यम से नयी दिल्ली और इस्लामाबाद में समानांतर रूप से परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं की सूची का आदान-प्रदान किया। सूची का आदान-प्रदान परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले को रोकने वाले समझौते के तहत हुआ।’’
समझौते पर 31 दिसंबर, 1988 को हस्ताक्षर किए गए और 27 जनवरी, 1991 को यह लागू हुआ। समझौते के तहत दोनों देशों के बीच, हर वर्ष की पहली जनवरी को अपने-अपने परमाणु प्रतिष्ठानों के बारे में एक-दूसरे को सूचित करने का प्रावधान है।
इस सूची का आदान-प्रदान कश्मीर मुद्दे के साथ-साथ सीमा पार से जारी आतंकवाद को लेकर दोनों देशों के बीच संबंधों में गतिरोध के बीच हुआ है।
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘यह दोनों देशों के बीच ऐसी सूचियों का लगातार 33वां आदान-प्रदान है। इस सूची का पहला आदान-प्रदान एक जनवरी 1992 को हुआ था।’’
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पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में फरवरी 2019 में भारत के युद्धक विमानों द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर पर हमला किए जाने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध अत्यंत तनावपूर्ण हो गए थे।
भारत द्वारा 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लिए जाने तथा इसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के बाद संबंध और भी खराब हो गए।
आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के खिलाफ भारत अपना कूटनीतिक हमला जारी रखे हुए है और सीमा पार आतंकवाद के बंद होने तक इस्लामाबाद के साथ कोई बातचीत नहीं करने की अपनी स्थिति पर कायम है।