पितृ पक्ष: करें पंचबलि कर्म,खूब बरसेगा पूर्वजों का आशीर्वाद

डीएन ब्यूरो

श्राद्ध में बहुत सारे लोगों ने पंचबलि कर्म के बारे में सुना होगा। पर ये क्या है, इसका महत्व क्या है, लोग नही जानते। हिन्दु शास्त्रों में इसका बहुत माहात्मय बताया गया है। डाइनामाइट न्युज लेकर आया है पंचबलि कर्म से जुड़ी सारी जानकारी ,जिसे करने से आपके पितर देंगे,आपको ढ़ेरो आशीर्वीद।

फाइल फोटो
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पितृ पक्ष: 28 सितम्बर तक का समय पितृ पक्ष का खास समय है। 29 सितम्बर से नवरात्र का महापर्व शुरू हो रहा है। पितृ पक्ष के इन दिनों में हम जो भी जप-तप, पूजा, अराधना करते है उससे हमारे पूर्वजों की आत्मा को असीम शांति मिलती है। इन दिनों अपने पूर्वजों के निमित्त तर्पण करने का विधान है। ऐसा करने से अतृप्त आत्मा को मुक्ति मिलती है, ऐसा हिन्दु शास्त्रों में वर्णित है।

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पितृ पक्ष के समय अपने पूर्वजों के लिए भोजन बनाकर उन्हें कुत्तों, कौओं ,पक्षियों के लिए अर्पण करने का विधान है।और ऐसा शास्त्र विधान के अनुसार किया जाये तो इसका और भी महत्व बढ़ जाता है। भोजन बनाकर इसको किस पात्र में और कैसे रखा जाये ये जानकारी हम लेकर आये है जिससे पू्र्वज आपके दिये भोजन को स्वीकार कर आपको आशीर्वाद दे।

श्राद्ध में ब्राह्मण भोजन और पंचबलि कर्म का बहुत ही महत्व है। पंचबलि कर्म में भोजन को पाँच जगहों पर रखने का विधान है।

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1)प्रथम गौ बलि- अपने घर के पश्चिम दिशा में गौ माता को पलाश या महुआ के पत्तों पर भोजन रखकर गौभ्यो नम: जपकर भोजन अर्पण करें।

2)श्नवान बलि- किसी भी पत्ते पर भोजन रखकर कुत्ते को भोजन कराया जाता है।

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3)काक बलि- कौओं को छत पर या जमीन पर भोजन रखकर खिलाने का विधान है।

4)देवादि बलि- इसमें पत्तों पर देवताओं को आवाहन करके भोजन अर्पण करने का विधान है।

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5)पिपलिकादि बलि- चिटियों, कीड़े-मकौड़ो के बिलों में भोजन के कुछ अंश डालना चाहिए।  

इसे पिपलिकादि बलि कहते है। इस पंचबलि कर्म को करने का बहुत ही बड़ा पुण्य बताया गया है।










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