आरएसएस मार्च की अनुमति को चुनौती देने वाली तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई टली
उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को मार्च निकालने की अनुमति देने के मद्रास उच्च न्यायालय के निर्देश को चुनौती देने वाली तमिलनाडु सरकार की याचिका की सुनवाई शुक्रवार को टाल दी।
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) को मार्च निकालने की अनुमति देने के मद्रास उच्च न्यायालय के निर्देश को चुनौती देने वाली तमिलनाडु सरकार की याचिका की सुनवाई शुक्रवार को टाल दी।
न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यम और पंकज मित्तल की पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए 27 मार्च की तारीख मुकर्रर की, क्योंकि वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले साल 22 सितंबर के मूल आदेश को चुनौती दी है, जिसमें तमिलनाडु पुलिस को आरएसएस के अभ्यावेदन पर विचार करने और बिना किसी शर्त के कार्यक्रम आयोजित करने देने का निर्देश दिया गया था।
आरएसएस की ओर से पेश वकील ने कहा कि राज्य सरकार ने मामले की पिछली सुनवाई में मार्च की अनुमति देने के लिए वैकल्पिक प्रस्ताव का वचन दिया था।
रोहतगी ने कहा कि उन्होंने राज्य सरकार के अधिकारियों से बात की, जिन्होंने बताया कि पहले वे अपील दायर करेंगे और फिर वे वैकल्पिक प्रस्ताव देंगे।
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पीठ ने कहा कि आरएसएस के वकील यह नहीं कह रहे हैं कि राज्य को अपील दायर करने का कोई अधिकार नहीं है, लेकिन अगर प्रस्ताव भी दिया जाता तो बेहतर होता।
रोहतगी ने दलील दी कि हाल ही में फर्जी वीडियो के आधार पर उत्तर भारत के प्रवासियों पर हमले को लेकर कुछ गड़बड़ी हुई थी। इस पर पीठ ने कहा कि इस मुद्दे को करीब 10 दिन पहले सुलझा लिया गया है।
रोहतगी ने कहा, ‘‘मैं अनुरोध करता हूं कि आज सूचीबद्ध अपील को भी 10 फरवरी के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की अन्य अपील के साथ सम्बद्ध किया जाए।’’
पीठ ने कहा कि वह इस मामले पर 27 मार्च को सुनवाई करेगी।
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तमिलनाडु सरकार ने तीन मार्च को शीर्ष अदालत से कहा था कि वह पांच मार्च को राज्य भर में आरएसएस के रूट मार्च और जनसभाओं की अनुमति देने के पूरी तरह से विरोध में नहीं है, हालांकि उसने खुफिया जानकारियों का हवाला देते हुए कहा था कि ये हर गली या इलाके में आयोजित नहीं किए जा सकते हैं।
राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी पिछली याचिका में कहा था कि रूट मार्च से कानून व्यवस्था की समस्या पैदा होगी और इसने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी।