गोरखपुर: अरबों की कीमत के जमीन आवंटन से जुड़े कई दस्तावेज गायब, वो भी सरकारी दफ्तर से..

डीएन संवाददाता

सोचिए, किसी सरकारी दफ्तर से अरबों की कीमत के कई महत्वपूर्ण दस्तावेज गायब हो जाएं। बडी लापरवाही वाली बात है न! गोरखपुर से एक ऐसी ही खबर आई है जहां जीडीए के रिकॉर्ड रूम से भूमि आवंटन से जुड़े कई दस्तावेज गायब हो गएं हैं। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में पढ़ें पूरी खबर..

जीडीए  से गायब हुए भूमि आवंटन जे जुड़े कई दस्तावेज
जीडीए से गायब हुए भूमि आवंटन जे जुड़े कई दस्तावेज


गोरखपुर: गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) के रिकॉर्ड रूम से 150 एकड़ भूमि आवंटन से जुड़े कई दस्तावेज गायब हो गए हैं। इनकी कीमत अरबों रुपयों में है। हालांकि मामला संज्ञान में आते ही जीडीए सचिव के निर्देश पर रिकार्ड रूम प्रभारी की ओर से खोराबार थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। लेकिन फिर भी, बड़ी लापरवाही वाली बात है। भला किसी सरकारी दफ्तर से अरबों की कीमत के दस्तावेज गायब हो जाएं, ये छोटी बात थोड़े न है! 

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150 एकड़ भूमि आवंटन का ममला जांच के दायरे में है
जिस 150 एकड़ भूमि के दस्तावेज गायब हुए हैं वह जांच के दायरे में है। उद्यमी एवं बिल्डर को 150 एकड़ जमीन आवंटन के मामले में प्रमुख सचिव आवास के निर्देश पर शासन स्तर की तीन सदस्यीय कमेटी जांच कर रही है। इस संदर्भ में विजिलेंस जांच के भी आदेश दिए गए हैं।

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जांच कमेटी को जब रिकार्ड उपलब्ध कराने के लिए कहा गया तो फाइलों की तलाश की जाने लगी। तलाशी के दौरान बिल्डरों को जमीन आवंटन से जुड़े कई दस्तावेज गायब मिले। मामला सामने आते ही जीडीए सचिव के निर्देश पर रिकार्ड रूम प्रभारी की ओर से खोराबार थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई।

1997 का यह मामला हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक विहार कर चुका है

मामला 1997 से शुरु होता है। वर्ष 1997 में जीडीए ने 150 एकड़ भूमि मेसर्स जालान कॉम्प्लेक्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स भव्या कॉलोनाइजर्स को नीलामी में दी थी। मेसर्स जालान ने आठ करोड़ 31 लाख रुपये और भव्या कॉलोनाइजर्स ने लगभग पांच करोड़ रुपये चुकाए थे। बाद में ब्याज का मामला फंस गया, तो अवंटी कोर्ट चले गएं। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा चला। दोनों में जीडीए को शिकस्त मिली। कोर्ट ने आदेश दिया कि जमीन की रजिस्ट्री कराई जाए लेकिन हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हुआ। लिहाज़ा हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच में अवमानना याचिका दाखिल की गई है। 
इस संदर्भ में गोरखपुर विकास प्राधिकरण के सचिव राम सिंह का कहना है कि बिल्डर को आवंटित की गई एक फाइल गायब है। इस मामले में मुकदमा दर्ज कराया गया है। 


 










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