Gorakhpur: रुद्रपुर खजनी में फगुआ गीतों की बहार, विलुप्त होती परंपरा को मिला नया जीवन

डीएन ब्यूरो

विलुप्त हो रही सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से गांव के कुछ बुजुर्ग और उत्साही युवाओं ने मिलकर एक आयोजन किया। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

रुद्रपुर खजनी में फगुआ प्रस्तुत करते ग्रामीण
रुद्रपुर खजनी में फगुआ प्रस्तुत करते ग्रामीण


गोरखपुर: जनपद के रुद्रपुर खजनी के हनुमान मठ पर फगुआ गीतों की मधुर धुन गूंजी, जहां ढोल-झाल की थाप पर चौताल, डेढ़ताल, बैसवाड़ा और उलारा जैसे पारंपरिक होली गीतों ने समां बांध दिया। विलुप्त हो रही इस सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से गांव के कुछ बुजुर्ग और उत्साही युवाओं ने मिलकर यह आयोजन किया।

फगुआ गीतों का महत्व

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार, आयोजनकर्ता विमलेश त्रिपाठी ने बताया कि दशकों पहले तक फागुन के महीने में गांवों में फगुआ गीतों की टोलियां घूमती थीं, लेकिन अब यह परंपरा लुप्त होती जा रही है। उन्होंने कहा कि इन गीतों में भारतीय संस्कृति और लोक परंपराओं की झलक मिलती है, और इन्हें संरक्षित करना आवश्यक है। गोरख राम त्रिपाठी ने बताया कि फगुआ गीत आपसी भाईचारे और सद्भाव का संदेश देते हैं। इन गीतों में सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक रीति-रिवाजों का संगम होता है, जो हमारी लोक संस्कृति की पहचान हैं।

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आधुनिकता की मार

विजय कुमार त्रिपाठी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आधुनिकता के इस दौर में इन पारंपरिक गीतों में युवाओं की रुची कम हो रही है। उन्होंने कहा कि इस विरासत को बचाना हम सभी का कर्तव्य है, ताकि यह संस्कृति लुप्त न हो जाए। गिरीश चन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि डीजे के शोर-शराबे के बीच इस तरह के पारंपरिक आयोजन होना बड़ी बात है। उन्होंने समाज से इस विधा को संरक्षित करने की अपील की।

कार्यक्रम में उपस्थित लोग

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कार्यक्रम में फगुहारों के अलावा, गोरख राम त्रिपाठी, दलदल राम त्रिपाठी, बृज किशोर राम त्रिपाठी, प्रेम शंकर मिश्र, महामाया राम त्रिपाठी, रुद्र प्रताप सिंह, राहुल त्रिपाठी, हरिनारायण शर्मा, नथुनी पांडेय, मनोज कुमार त्रिपाठी, विजय कुमार त्रिपाठी, श्यामानंद त्रिपाठी, बिल्लू राम त्रिपाठी, गंगेश्वर राम त्रिपाठी, प्रिंस शुक्ला, उत्तम मिश्रा, मंगलम भरतीया, गया प्रजापति, राम भवन चौहान, इंद्रेश चौहान, दुर्बल चौहान, लालदेव प्रसाद, अर्जुन जायसवाल, अजीत राम त्रिपाठी जोगी, डबलू राम त्रिपाठी, ऋषभ त्रिपाठी, वृषभ त्रिपाठी, हाजी शहाबुद्दीन, मौलाना औरंगज़ेब, रवि शंकर त्रिपाठी, अश्विनी राम त्रिपाठी, सुधीर त्रिपाठी, निखिल कुमार गौड़, संजय चौहान, अमित चौहान, राजगुरु गुप्ता, सदानंद यादव और अन्य श्रोतागण उपस्थित थे।

यह आयोजन न केवल एक मनोरंजक कार्यक्रम था, बल्कि एक सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का महत्वपूर्ण प्रयास भी था।










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