गोरखपुर : सौतेली साज़िश की बलि चढ़ा लक्ष्मण पाठक, मासूम बेटी ने दी मुखाग्नि, कांप उठी इंसानियत

गोरखपुर में सौतेली साज़िश की बलि चढ़ा लक्ष्मण पाठक ने मासूम बेटी ने दी मुखाग्नि दी। पढिए डाइनामाइट न्यूज की पूरी खबर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 10 April 2025, 7:45 PM IST
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गोरखपुर: जनपद के ख़जनी कस्बे में बीते बुधवार को घटित घटना ने हर संवेदनशील दिल को झकझोर कर रख दिया। लक्ष्मण पाठक की संदिग्ध मौत और उससे जुड़ी पीड़ा भरी कहानी ने न केवल पूरे क्षेत्र को स्तब्ध कर दिया, बल्कि इंसानियत को भी शर्मसार कर दिया।

डाइनामाइट न्यूज रिपोर्ट के मुताबित लक्ष्मण पाठक, पुत्र बिंध्याचल पाठक, एक सामान्य जीवन जीने की कोशिश कर रहा था, परंतु पारिवारिक कलह और सौतेली  क्व खनयन्त्र से बेदखल हुए  लक्ष्मण पाठक माँ की कथित प्रताड़नाओं ने जैसे उसकी ज़िन्दगी को एक अंतहीन अंधेरे में धकेल दिया। घर में पत्नी प्रियंका और दो मासूम बेटियों के साथ सीमित साधनों में गुजर-बसर कर रहा लक्ष्मण, कब अंदर से टूट चुका था यह किसी को पता ही न चला।

स्थानीय लोगों का कहना है कि सौतेली माँ की साजिश और लगातार बढ़ते पारिवारिक तनाव ने लक्ष्मण को इस कदर तोड़ दिया कि वह या तो खुदकुशी करने पर मजबूर हुआ, या फिर यह मौत किसी बड़ी चाल का हिस्सा थी। उसकी मौत को लेकर गाँव में गहरी शंका और आक्रोश है। क्या यह आत्महत्या थी या रची गई एक चाल? यह सवाल लोगों के ज़ेहन में गूंज रहा है।

मासूम बेटी का वह दृश्य जिसने हर आंख को नम कर दिया जब पिता के शव को मुखाग्नि देने वाला कोई पुरुष नहीं था, तब एक किशोरी मातंगी पाठक ने हिम्मत दिखाई और इंसानियत को नई परिभाषा दे डाली। समाज की रूढ़ियों को तोड़ते हुए बेटी ने अपने पिता को अंतिम विदाई दी। उस क्षण वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम थीं और दिल भारी।

एक पत्नी, जिसने पति का साथ अंतिम सांस तक नहीं छोड़ा और वो दो नन्हीं बेटियाँ, जो घर की हालत और दादी की प्रताड़ना से ननिहाल में पढ़ाई करने चली गई थीं, आज एक ऐसे दर्द से जूझ रही हैं जिसका कोई मरहम नहीं।

यह केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि एक सामाजिक प्रश्न है क्या आज भी सौतेले रिश्ते ऐसा ज़हर घोल सकते हैं जो किसी की ज़िन्दगी ही छीन लें?

यह घटना एक मूक पुकार है, उस व्यवस्था के नाम जो ऐसे मामलों की तह तक नहीं जाती। यह दर्द, यह आंसू और यह चुप्पी क्या कभी किसी जांच की दस्तक बन पाएंगे?