Farmers Protest: किसानों का व्यापक आंदोलन जारी, बैरिकेड्स हटाने की कोशिश, नोएडा-दिल्ली सीमा सील, पढ़ें जरूरी एडवायजरी

डीएन ब्यूरो

कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर चल रहा किसानों का धरना-प्रदर्शन आज बुधवार को 7वें दिन में प्रवेश कर गया है। दिल्ली सीमा पर हाजरों किसान जुटे हुए हैं। पढिये, डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट

दिल्ली बॉर्डर पर  बैरिकेड्स हटाते किसान
दिल्ली बॉर्डर पर बैरिकेड्स हटाते किसान


नई दिल्ली: केंद्र सरकार के नये कृषि कानूनों के खिलाफ सड़कों पर उतरे किसानों का आंदोलन आज सातवें दिन में प्रवेश कर गया है। कल लगभग चार घंटे राजधानी के विज्ञान भवन में सरकार के साथ किसानों की बातचीत विफल हो गयी थी, जिसके बाद आज दिल्ली के बार्डर्स पर हाजरों की संख्या में किसान आंदोलन कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मानती तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। सरकार फिर कल 3 दिसंबर को किसानों के साथ बातचीत करने वाली है।

पिछले 26 नवंबर से चल रहा किसानों का यह आंदोलन अब और ज्यादा आक्रमक होने लगा है। दिल्ली सीमा पर मंगलवार सुबह से ही किसानों का व्यापक आंदोलन चल रहा है। किसानों के आंदोल को देखते हुए पुलिस ने नोएडा-दिल्ली बॉर्डर को सील कर दिया है। दिल्ली पुलिस ने एक एडवायजरी जारी करके लोगों से नोएडा लिंक रोड का इस्तेमाल न करने की अपील की है।  

दिल्ली की सीमा पर आज सुबह से ही हजारों की संख्या में किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। सिंधु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर समेत अन्य जगह पर किसानों का भारी जमावड़ा है। अब पंजाब और हरियाणा के किसानों ने अधिक संख्या में दिल्ली कूच की बात कही है। इसके अलावा यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश के किसानों ने भी इश आंदोलन को समर्थन देने और जरूरत पड़ने पर दिल्ली कूच करने का ऐलान किया है।

किसान संगठनों के ऐलान के बाद आने वाले दिनों में दिल्ली की सीमा पर किसानों की संख्या बढ़ सकती है। यूपी सीमा पर तैनात किसान पहले ही अस्थाई घर बनाने की बात कह चुके हैं। जबकु कुछ किसानों का कहना है कि वह अपने साथ हफ्तों का राशन लेकर आये हैं। मतलब उनकी मंशा आंदोलन को तब तक खींचने की है, जब तक सरकार उनकी मांगे पूरी नहीं करती।

केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच कल सोमवार को जो बातचीत हुई, उसमें कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। इस वजह से किसानों ने कहा है कि उनका आंदोलन तबतक जारी रहेगा, जब तक कि ये कानून वापस नहीं हो जाते हैं। किसानों के व्यापक होते आंदोलन के कारण पुलिस समेत सरकार की चुनौतियां बढ़ गयी हैं।










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