दुनियाभर में 650 अरब डॉलर की मादक पदार्थ तस्करीः सीबीआईसी प्रमुख
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने मादक पदार्थों का वैश्विक अवैध कारोबार 650 अरब डॉलर पर पहुंचने का जिक्र करते हुए सोमवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा-शुल्क अधिकारियों को इन अपराधों का पता लगाने वाली उन्नत तकनीकें एवं जानकारी साझा करनी चाहिए। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के चेयरमैन संजय कुमार अग्रवाल ने मादक पदार्थों का वैश्विक अवैध कारोबार 650 अरब डॉलर पर पहुंचने का जिक्र करते हुए सोमवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय सीमा-शुल्क अधिकारियों को इन अपराधों का पता लगाने वाली उन्नत तकनीकें एवं जानकारी साझा करनी चाहिए।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक अग्रवाल ने यहां राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) की तरफ से 'प्रवर्तन मुद्दों में सहयोग' विषय पर एक वैश्विक सम्मेलन में कहा कि नशीले पदार्थों का गैरकानूनी कारोबार अब भी मजबूती से जारी है।
उन्होंने कहा, ‘‘इनकी तस्करी का आकार करीब 650 अरब डॉलर है जो कुल अवैध अर्थव्यवस्था का 30 प्रतिशत है। इसका विनाशकारी प्रभाव पड़ रहा है।’’
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सीबीआईसी प्रमुख ने कहा कि गैरकानूनी कारोबार से जुड़े अपराधों का संबंध कई बार धनशोधन एवं आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण से भी होता है जो राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर डालते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘निर्यात-आयात धोखाधड़ी से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को खतरा होने की बात हम समझते हैं और यह आर्थिक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी हानिकारक है। इस तरह हम अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट को हराने के लिए मिलकर काम करते हैं। इसके लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के सहयोग एवं समन्वय की निरंतर जरूरत है।”
अग्रवाल ने कहा कि इस सम्मेलन का विषय ‘नेटवर्क से लड़ने के लिए नेटवर्क की जरूरत’ को रेखांकित करता है। यह अवैध व्यापार पर अंकुश लगाने के लिए खुफिया जानकारी और सूचना साझा करने के महत्व पर जोर देता है।
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उन्होंने कहा कि नजदीक से जुड़ी डिजिटल दुनिया और गुमनामी की परतें उभरने के साथ, ‘‘विशेष रूप से नशीली दवाओं से संबंधित अपराधों के संदर्भ में उभरते रुझानों और उन्नत पहचान तकनीकों में अंतर्दृष्टि’’ को साझा करना महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद तस्करी, कर अपवंचना, वाणिज्यिक धोखाधड़ी और कारोबार से जुड़े धनशोधन के मामलों में व्यापक बदलाव हुए हैं और अब ई-कॉमर्स एवं क्रिप्टो मुद्राओं में सीमापार लेनदेन आसान होने से जटिलता बढ़ गई है।