

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नया ऐलान किया है कि अमेरिका जल्द ही दवाओं के आयात पर भारी शुल्क लगाएगा। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की खास रिपोर्ट
वॉशिंगटन: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने आक्रामक व्यापारिक रुख को लेकर चर्चा में हैं। उन्होंने ऐलान किया है कि अमेरिका जल्द ही दवाओं के आयात पर भारी शुल्क लगाएगा। यह घोषणा उन्होंने वॉशिंगटन में आयोजित नेशनल रिपब्लिकन कांग्रेसनल कमेटी के एक कार्यक्रम के दौरान की।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, ट्रंप का कहना है कि इस कदम का उद्देश्य विदेशी दवा कंपनियों को अमेरिका में निर्माण इकाइयां स्थापित करने के लिए मजबूर करना है, जिससे घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और अमेरिका दवा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सके।
ट्रंप ने स्पष्ट रूप से कहा कि अमेरिकी बाजार को विदेशी कंपनियों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। उन्होंने कहा, "हम अब दूसरों पर निर्भर नहीं रह सकते। अगर दवा कंपनियों को हमारे बाजार में बने रहना है, तो उन्हें यहीं उत्पादन करना होगा।"
चीन पर सबसे सख्त रवैया
2 अप्रैल से अमेरिका ने 180 से अधिक देशों से आने वाले उत्पादों पर नई टैरिफ दरें लागू कर दी हैं। इसमें सबसे अधिक असर चीन पर पड़ा है। ट्रंप प्रशासन ने चीन से आयातित वस्तुओं पर 104 प्रतिशत तक का टैरिफ लागू कर दिया है। जो पहले के 54 प्रतिशत से लगभग दोगुना है। जवाब में चीन ने भी अमेरिका के उत्पादों पर 34 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है।
इसके बाद ट्रंप ने चीन पर अपनी मुद्रा (युआन) में हेरफेर करने का आरोप लगाया, ताकि टैरिफ के प्रभाव को कम किया जा सके। ट्रंप ने कहा, "चीन टैरिफ से बचने के लिए अपनी करेंसी में गड़बड़ी कर रहा है। हमें इसका जवाब देना होगा। यह एकतरफा व्यापार अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"
भारत समेत 70 देशों से चल रही बातचीत
अमेरिका ने भारत से आयातित उत्पादों पर भी 26 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया है। ट्रंप प्रशासन के अनुसार अमेरिका 70 देशों के साथ अलग-अलग व्यापार समझौते की कोशिश कर रहा है। हर देश के लिए एक विशेष व्यापार समझौता तैयार करने की योजना है, जिससे अमेरिका के हित सुरक्षित रह सकें।
वैश्विक नेताओं से चर्चा
ट्रंप ने व्यापारिक संबंधों को लेकर जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और दक्षिण कोरिया के कार्यवाहक राष्ट्रपति हान डक-सू से चर्चा की है। उन्होंने इस बात पर निराशा जताई कि चीन ने बातचीत की बजाय सीधा जवाबी टैरिफ का रास्ता अपनाया। ट्रंप ने कहा, "हम हमेशा संवाद के लिए तैयार हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम चुपचाप अन्याय सहें।"