Delhi High Court: आरटीआई के तहत फोन टैपिंग के लिए ट्राई को निर्देश देने से इनकार किया

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक मोबाइल उपयोगकर्ता के फोन की कथित टैपिंग के बारे में आरटीआई के तहत जानकारी उपलब्ध कराने के लिए दूरसंचार नियामक ‘ट्राई’ को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) द्वारा दिए गए निर्देश को बरकरार रखने के एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

ट्राई को निर्देश देने से इनकार किया
ट्राई को निर्देश देने से इनकार किया


नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक मोबाइल उपयोगकर्ता के फोन की कथित टैपिंग के बारे में आरटीआई के तहत जानकारी उपलब्ध कराने के लिए दूरसंचार नियामक ‘ट्राई’ को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) द्वारा दिए गए निर्देश को बरकरार रखने के एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया है।

न्यायमूर्ति विभु बाखरू की अध्यक्षता वाली पीठ ने एकल न्यायाधीश वाली पीठ के आदेश के खिलाफ भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा दायर अपील को मंजूर कर लिया।

अदालत ने कहा कि निगरानी का कार्य सरकार के निर्देशों के तहत और देश की संप्रभुता व अखंडता और राष्ट्र की सुरक्षा के हित में किया जाता है, ऐसे में इसे सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत छूट दी गई है।

पीठ ने हालिया आदेश में कहा, ‘‘किसी फोन की निगरानी या टैपिंग के संबंध में संबंधित सरकार द्वारा तब कोई आदेश पारित किया जाता है, जब अधिकृत प्राधिकारी संतुष्ट हो जाता है कि भारत की संप्रभुता और अखंडता, सुरक्षा या किसी अपराध के लिए उकसावे को रोकने के लिए ऐसा करना आवश्यक है।’’

अदालत ने कहा, ‘‘मौजूदा मामले में, ऐसी किसी भी जानकारी का खुलासा, जांच की प्रक्रिया में बाधा डाल सकता है या उपरोक्त तथ्यों को प्रभावित कर सकता है इसलिए आरटीआई अधिनियम की धारा 8 की शर्तों के तहत इनके खुलासे से छूट दी जाएगी।’’

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार इसने कहा कि फोन टैपिंग दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के मामलों के अंतर्गत नहीं आती है और मांगी गई जानकारी भी कानून के तहत ट्राई के कार्यों से संबंधित नहीं है।

वकील कबीर शंकर बोस ने एक आरटीआई आवेदन दायर कर जानकारी और विवरण मांगा था कि क्या उनका फोन टैप किया जा रहा था और किस एजेंसी द्वारा फोन टैप किया जा रहा था।










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