राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक: केवल चुनाव ही नहीं और भी चुनौतियां हैं भाजपा के सामने

दिल्ली में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भाजपा के लिए अहम मानी जा रही है। इसे आने वाले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव की रणनीति के लिहाज से भी देखा जा रहा है। वहीं चुनाव से इतर देश में कुछ ऐसे मुद्दे भी हैं, जो भाजपा के लिये बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं। डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 8 September 2018, 2:08 PM IST
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नई दिल्लीः सत्तारूढ़ भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक शुरू हो चुकी है। यह पहली बार हैं कि जब भाजपा अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक दिल्ली के आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में कर रही है। इस बैठक को पार्टी की तरफ से दिवंगत दिग्गज नेता अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित किया गया है।

क्यों अहम है राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक? 

1. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव और इस साल के अंत तक 5 राज्यों में होने वाले विभानसभा चुनाव को लेकर यह बैठक अहम मानी जा रही है।
2. अभी आर्थिक और राजनीतिक हालात में ये बैठक भाजपा के लिए कुछ प्रतिकूल नजर आ रही है।
3. सामाजिक एकीकरण को लेकर भी यह बैठक महत्वपूर्ण है क्योंकि एससी/ एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में बदलाव को लेकर भी इस बैठक को अहम माना जा रहा है।
4. एससी/ एसटी एक्ट में बदलाव से जहां भाजपा ने दलित कार्ड खेला हैं वहीं इससे सवर्णों में खासा गुस्सा देखा जा रहा है। ऐसा भी हो सकता है इन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में एक वर्ग भाजपा के खिलाफ उठ खड़ा हो सकता है।

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5. भाजपा की तरफ से कहा जा रहा है कि पार्टी की तरफ से हर तीन महीने में ऐसी बैठक होती रहती है। जबकि इस बार इस बैठक का स्वरूप पूरी तरह से बदला हुआ नजर आ रहा है। 

राषट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते भाजपा अध्यक्ष अमित शाह(फाइल फोटो)

6. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी बैठक में सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन पर बातचीत कर सकते हैं।
7. भाजपा की तरफ से कई योजनाओं जिनमें उज्ज्वला योजना, बीमा योजना, जनधन योजना, फसल बीमा योजना व प्रधानमंत्री आवास योजना ये कुछ ऐसी उपलब्धियां हैं जिसे सरकार अपनी इस बैठक में जरूर भुनाना चाहेगी।

इन चुनौतियों से कैसे पार पाएगी भाजपा

1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ सबका विकास’ वाला मंत्र अब पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती बनता दिख रहा है। क्योंकि सभी वर्गों को खुश रख पाना किसी भी पार्टी के लिए इतना आसान नहीं है।
2. एक वर्ग को खुश करके पार्टी न चाहते हुए भी दूसरे वर्गों के विरोध का सामना करने को मजबूर है।

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3. अब ऐसा सामने आ रहा है कि अनुसूचित जाति/ जनजाति कानून में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटकर भाजपा से जहां एक वर्ग खुश है वहीं दूसरा वर्ग सड़कों पर उतरकर भारत बंद का आह्वान करने में तुला है।
4. पार्टी के कुछ बड़बोले नेता मीडिया के सामने ताव में आकर अनाब-सनाब बयान दे रहे हैं। यह पार्टी के लिए आने वाले लोकसभा चुनाव में भारी पड़ सकता है।
5. केंद्र सरकार कश्मीर में हो रहे उपद्रव को रोकने का हरसंभव प्रयास कर रही हैं लेकिन वहां के युवा आतंकी राह को अपना रहे हैं जबकि कुछ पत्थरबाजी कर आजादी की मांग कर रहे हैं जो कहीं न कहीं भाजपा के लिए एक चुनौती है।
6. पेट्रोल डीजल के बढ़ते दाम भी सरकार के लिए के बड़ी सिरदर्दी बन रहे हैं। इस पर विपक्षी दलों का बार-बार भाजपा का घेरना व सरकार द्वारा केंद्रीय करों में कटौती नहीं किया जाना पार्टी के लिए नवंबर- दिसंबर में पांच राज्यों जिनमें-राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में होने वाले विधानसभा चुनाव चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। 
7. युवाओं के रोजगार का मुद्दा और विपक्ष के भ्रष्टाचार के आरोप खासतौर पर रफाएल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर भाजपा कांग्रेस के निशाने पर बनी हुई है।

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