CJI DY Chandrachud: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ बोले- उच्चतम न्यायालय ‘पॉलीवोकल कोर्ट’ नहीं, यह एक जन-केंद्रित अदालत है

डीएन ब्यूरो

भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय एक जन-केंद्रित अदालत है, न कि अनेक स्वरों वाली (पॉलीवोकल)। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कॉलेजियम के ध्येयों में से एक ‘भारत की समृद्धि और विविधता का प्रतिनिधित्व’ सुनिश्चित करना है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर:

डी वाई चंद्रचूड़,सीजेआई
डी वाई चंद्रचूड़,सीजेआई


नयी दिल्ली: भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने मंगलवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय एक जन-केंद्रित अदालत है, न कि अनेक स्वरों वाली (पॉलीवोकल)। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कॉलेजियम के ध्येयों में से एक ‘भारत की समृद्धि और विविधता का प्रतिनिधित्व’ सुनिश्चित करना है।

प्रधान न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की ओर से न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां और न्यायमूर्ति एस. वी. एन. भट्टी के लिए आयोजित अभिनंदन समारोह को संबोधित कर रहे थे। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि सक्षम न्यायाधीशों, खासकर जिन्होंने न्यायपालिका की सेवा में अपने जीवन के बहुमूल्य साल समर्पित किये हों, को शीर्ष अदालत में पदोन्नत करना न्याय का दायरा बढ़ाने का एक तरीका है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार सीजेआई ने कहा, ‘‘यह महाराष्ट्र या दिल्ली का सर्वोच्च न्यायालय नहीं है। यह भारत का सर्वोच्च न्यायालय है और हमारा उद्देश्य यह प्रतिबिंबित करना है कि यह न्यायालय भारत की विविधता को दर्शाता है। मेरा मानना ​​है कि यह सुनिश्चित करना कॉलेजियम के ध्येयों में से एक रहा है कि हम भारत की समृद्धि और विविधता का प्रतिनिधित्व करें।’’

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘बहुत से लोग ‘पॉलीवोकल कोर्ट’ के नाम पर उच्चतम न्यायालय की आलोचना करते रहे हैं, लेकिन आइए इसका दूसरा पहलू देखें। हम पॉलीवोकल कोर्ट क्यों हैं, इसका कारण यह है कि कोई भी दो न्यायाधीश एक जैसे नहीं हैं। हमारे पास महाराष्ट्र के एक न्यायाधीश हैं जो हरियाणा के एक मामले पर फैसला करने के लिए पश्चिम बंगाल के न्यायाधीश के साथ पीठ साझा करते हैं। यह भारत के सर्वोच्च न्यायालय का असली सार है। उच्चतम न्यायालय ‘पॉलीवोकल कोर्ट’ नहीं है, अलबत्ता यह एक जन-केंद्रित अदालत है।'

उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के प्रत्येक न्यायाधीश कानून के मुद्दों पर निर्णय लेते समय अपने स्वयं के अद्वितीय कानूनी अनुभव और विशेषज्ञता को सामने लाते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘लोग न्यायपालिका पर तभी भरोसा करना शुरू करेंगे, जब वे न्याय देने वाले लोगों में अपना प्रतिबिंब देखेंगे। हमें अपने समाज की छवि को प्रतिबिंबित करना जारी रखना होगा।'

सीजेआई ने कहा, 'यह सुनिश्चित करना हमारी जिम्मेदारी है कि बार और पीठ दोनों से सक्षम पेशेवरों को शीर्ष अदालत में पदोन्नत किया जाए। न्यायमूर्ति भुइयां और न्यायमूर्ति भट्टी की पदोन्नति निस्संदेह उच्चतम न्यायालय के लिए महत्वपूर्ण है।'

इस अवसर पर भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और एससीबीए अध्यक्ष आदिश अग्रवाल ने भी अपने विचार रखे।










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