दंतेवाड़ा हमले पर नक्सलियों ने लिखा पत्र..कहा-पत्रकार हमारे दुश्मन नहीं दोस्त
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में पत्रकारों व सुरक्षा बलों पर हमला करने वाले नक्सलियों ने एक पत्र जारी कर यहां उनके द्वारा हमले में शहीद हुये दूरदर्शन के कैमरामैन अच्युतानंद साहू की मौत को लेकर बड़ा खुलासा किया है। नक्सलियों ने इस पर जानकारी नहीं होने का हवाला दिया है। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में पढ़ें नक्सलियों ने चिट्ठी में पत्रकारों को लेकर क्या लिखा
रायपुरः नक्सली हमले में शहीद हुये दूरदर्शन के कैमरामैन अच्युतानंद साहू और उनके सहयोगी पत्रकारों पर हमला करने वाले नक्सलियों ने एक पत्र जारी किया है। इस पत्र में जो चौंकाने वाली बात सामने आई है वह यह है कि नक्सलियों ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुये कहा है कि उनका मकसद पत्रकारों पर हमला करना नहीं था। नक्सलियों ने लिखा है कि जबरदस्त फायरिंग में अच्युतानंद साहू का मारा जाना दुख की बात है।
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हम जानबूझकर पत्रकारों को नहीं मारेंगे। पत्र में यह भी लिखा है कि अच्युतानंद साहू घात लगाकर बैठे थे और हमला मीडिया को निशाना बनाने का कोई लक्ष्य नहीं है। वहीं अपने इस पत्र में नक्सलियों ने पत्रकारों को हिदायत दी है कि सुरक्षा बलों के साथ पत्रकार नक्सली इलाकों में यात्रा नहीं करें।
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उन्होंने हमले को लेकर सफाई दी है कि उन्हें यह पता नहीं था कि सुरक्षाबलों के साथ मीडिया के लोग भी कवरेज पर पहुंचे थे। नक्सलियों का कहना है कि उनकी पत्रकारों से कोई दुश्मनी नहीं है वे उनके मित्र हैं।
Why was camera looted? Because it had recorded evidence of what happened in the first few minutes of targeted media ambush. Multiple bullet wounds and skull fractures on the martyred cameraman in no ways indicates it was by mistake: Dantewada SP Abhishek Pallav on Naxal statement https://t.co/9U2cgLdWph
— ANI (@ANI) November 2, 2018
नक्सलियों द्वारा जारी किये गये पत्र पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये दंतेवाड़ा एक एसपी अभिषेक पल्लव ने इसकी कठोर निंदा की है। एसपी का कहना है कि अगर इतना ही नक्सलियों को इस हमले का खेद है तो उन्होंने कैमरा क्यों छीना था? क्योंकि इसमें मीडिया पर हमले की शुरुआती मिनटों के रिकॉर्डेड सबूत थे।
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एसपी ने नक्सलियों के हमले को लेकर अपने बयान में कहा कि उनके इस कायरतापूर्ण हमले में शहीद हुये कैमरामैन के शरीर पर गोलियों के कई निशान भी मिले और सिर पर फ्रैक्चर भी था। इससे यह साफ हो जाता है कि नक्सलियों का यह हमला कोई गलती से नहीं बल्कि पूरी तरह से रणनीतिक बनाकर किया गया हमला था, जिसमें उन्होंने सुरक्षाबलों के साथ पत्रकारों को भी अपना निशाना बनाया।