Chennai: पलानीस्वामी ने कावेरी मुद्दे को लेकर द्रमुक पर साधा निशाना
अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ कषगम (अन्नाद्रमुक) के प्रमुख ई के पलानीस्वामी ने रविवार को कावेरी नदी जल विवाद को लेकर तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) पर निशाना साधा और सवाल किया कि क्या मुख्यमंत्री एम के स्टालिन को इस मामले को लेकर राज्य के लोगों की चिंता है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
चेन्नई: अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ कषगम (अन्नाद्रमुक) के प्रमुख ई के पलानीस्वामी ने रविवार को कावेरी नदी जल विवाद को लेकर तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक) पर निशाना साधा और सवाल किया कि क्या मुख्यमंत्री एम के स्टालिन को इस मामले को लेकर राज्य के लोगों की चिंता है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता पलानीस्वामी ने आरोप लगाया कि द्रमुक कर्नाटक में कांग्रेस सरकार का 'समर्थन' कर रही है, ताकि 'यह सुनिश्चित किया जा सके कि उसके परिवार के सदस्यों द्वारा वहां संचालित व्यवसाय' प्रभावित न हों।
अन्नाद्रमुक महासचिव ने मुख्यमंत्री स्टालिन को 'कठपुतली' बताते हुए उन पर दूरदर्शिता की कमी का आरोप लगाया और कहा कि उन्होंने 12 जून को सलेम में मेट्टूर बांध से पानी छोड़ा था।
पलानीस्वामी ने यहां एक बयान में कहा कि सरकार के आश्वासन पर विश्वास करते हुए कावेरी डेल्टा क्षेत्र के लगभग 1.50 लाख किसानों ने पांच लाख एकड़ भूमि पर अल्पकालिक 'कुरुवई' की खेती की।
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बयान के अनुसार, उन्होंने कहा कि हालांकि अब, 3.50 लाख एकड़ में खड़ी फसल मुरझा गई है और बाकी की सिंचाई कुएं के पानी से की जा रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘द्रमुक सरकार, जिसके पास कुशल प्रशासन का अभाव है, को क्या करना चाहिए था। उसे मेट्टूर बांध से छोड़े जाने वाले पानी की मात्रा कम करनी चाहिए थी और कानून के अनुसार और राजनीतिक दबाव के माध्यम से जून, जुलाई व अगस्त के महीनों के लिए कर्नाटक से कावेरी जल में से तमिलनाडु का हिस्सा सुनिश्चित करना चाहिए था।’’
पलानीस्वामी ने कहा कि द्रमुक सरकार पूरी तरह से 'गहरी नींद' में थी, उसने मेट्टूर बांध में पानी का इस्तेमाल किया, ऐसा करने के लिए केंद्र पर उंगली उठाई, लेकिन इस मामले पर कुछ भी रचनात्मक नहीं किया।
तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने कहा कि यदि स्टालिन कावेरी डेल्टा क्षेत्रों सहित राज्य के लोगों के बारे में 'वास्तव में चिंतित' होते, तो वह इस मामले को पड़ोसी राज्य के साथ उठा सकते थे, जब वह जून में सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए बेंगलुरु गए थे।
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पलानीस्वामी ने कहा कि वह तब मैत्रीपूर्ण बातचीत कर सकते थे और पानी छोड़ना सुनिश्चित कर सकते थे, जब कर्नाटक के जलाशयों में पानी का पर्याप्त भंडार था।
उन्होंने यह भी कहा कि स्टालिन अपनी पार्टी को विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) में बनाए रखने के लिए कावेरी से पानी छोड़ने को एक पूर्व शर्त बना सकते थे। इस गठबंधन में अन्य दलों के अलावा कांग्रेस भी शामिल है।
पलानीस्वामी ने कहा कि वह कम से कम ‘इंडिया’ के बेंगलुरु सम्मेलन से पहले इसे एक मुद्दा बना सकते थे और बैठक से दूर रह सकते थे।
उन्होंने मांग की, ‘‘मैं इस सरकार से आग्रह करता हूं कि वह अब कम से कम किसानों के लिए चिंता दिखाए, एक सर्वदलीय बैठक बुलाए और कावेरी मुद्दे पर तमिलनाडु के अधिकारों को बनाए रखने और राज्य को पानी सुनिश्चित करने के लिए कड़ा कदम उठाए।’’