चेन्नईः जेबकतरों की दरियादिली, पर्स लूटने के बाद दस्तावेजों को डाल रहे पोस्ट बॉक्स में

डीएन ब्यूरो

भागमभाग भरी जिंदगी में लोग खासतौर पर महानगरों में जेबतराशों का शिकार हो रहे हैं। वहीं लूट का शिकार होने के बाद उन्हें न सिर्फ थानों, सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ते हैं बल्कि अपना समय भी गवाना पड़ता है। लेकिन चेन्नई में जेबकतरी के शिकार लोग थोड़ी राहत महसूस कर रहे हैं। डाइनामाइट न्यूज़ की रिपोर्ट में पढ़ें, क्या है पूरा मामला

जेब तराश (प्रतीकात्मक तस्वीर)
जेब तराश (प्रतीकात्मक तस्वीर)


चेन्नईः एक तरफ जहां लोग बसों में, मेट्रों में राह चलते हुए और यहां तक की घर में ही लूटपाट का शिकार हो रहे हैं। वहीं भोले-भाले और मासूम लोगों को अपना शिकार बनाने वाले पॉकेटमारों का लगता है दिल पसीज गया है। यह इसलिए क्योंकि खासतौर पर महानगरों में जिस तरह से आये दिन बसों व मेट्रों में जेबतरास लोगों की जेब साफ कर उनके पाकेट को नाले में,कूड़ेदान में, रास्ते पर या फिर जला देते हैं। 

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पॉकेटमार (सांकेतिक तस्वीर)

 

जिससे इनका शिकार होने वाले लोग अपने पैसे तो गवाते ही है उसके साथ-साथ इसमें पैसों से भी कीमती कागजात भी उनके हाथ से चले जाते हैं।  लोग जो बटुआ व पर्स अपने पास रखते है उसमें न सिर्फ वे एटीएम कार्ड बल्कि पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, डेबिट कार्ड, मेट्रो कार्ड समेत वो तमाम चीजें अपने पास रखते हैं जो कि सरकारी कामकाज में उनके काम आती है।

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पोस्ट ऑफिस का पोस्ट बॉक्स (फाइल फोटो)

 

वहीं ये पॉकेटमार जब इनकी जेबतरासते हैं तो जब बटुआ व पर्स इनके हाथ लग जाता है तो ये उसमें से सिर्फ रुपये निकाल लेते हैं बाकी चीजों को सड़क पर या फिर नाले में लावारिस फेंक देते हैं। जिससे इनका शिकार बनने वाला शख्स अपने इन कागजातों के लिए थाने, कोर्ट-कचहरी और सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटने को मजबूर होता है। लेकिन चेन्नई में कई मामले ऐसे आये हैं जिनमें जेबतराशों द्वारा लोगों की जेब से निकाले गये बटुओं से पैसे निकालकर इसे डाक विभाग की पत्र पेटियों में डाले जाने की सूचनायें आई है।      

 

 

कूड़े में फेंके गये दस्तावेज (फाइल फोटो)

 

चेन्नई नगर निगम की मानें तो निगम क्षेत्र में पिछले छह महीनों में 70 ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें जेबतराशों ने लोगों के चुराये बटुओं को पोस्ट ऑफिस की पत्र-पेटिकाओं में डाला है। डाककर्मियों को इन बटुओं में आधार कार्ड, पैन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस जैसी चीजें तो मिली हैं लेकिन इनमें पैसे नहीं मिले हैं। जब डाकिया संबंधित पोस्ट ऑफिस में पहुंचता है तो पोस्टमास्टर यह तय करते हैं कि उनको मिले ये दस्तावेज उचित व्यक्ति तक पहुंचा दिये जाये।    

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पर्स में रखे रुपये (फाइल फोटो)

 

 

डाक विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि इस काम से हालांकि डाक विभाग को कोई आय तो नहीं हो रही लेकिन जेबकतरों का शिकार बने शख्स के दस्तावेज उसके पास भेजने पर सेवा भावना जरूर हो जाती है।

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डाककर्मी संबंधित व्यक्ति को सूचित कर उन्हें अपने दस्तावेज ले जाने के लिये फोन से सूचनाएं देते हैं अगर संबंधित व्यक्ति का नंबर नहीं लगता तो उसके दस्तावेज में लिखे पते के आधार पर उसके पास उसके सभी दस्तावेजों को भेजा जाता है।
 










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