18 मार्च से चैत्र नवरात्र‍ि शुरू, पूजा का महत्व और शुभ मुहुर्त

चैत्र नवरात्रि पूजा 18 मार्च से शुरू हो रही हैं। नौ दिनों तक चलने वाली इस पूजा में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। इस रिपोर्ट में पढ़ें चैत्र नवरात्रि का क्या महत्व..

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 16 March 2018, 7:33 PM IST
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नई दिल्ली: चैत्र नवरात्र‍ि 18 मार्च से शुरू होकर 25 मार्च तक चलेगी। नवरात्र में मां देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। मां के हर एक रूप का खास महत्‍व है और उनकी पूजा के लिए खास मंत्र का जाप किया जाता है। 

मां शैलपुत्री

 

नवरात्र के पहला दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है। यह नव दुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्‍हें शैलपुत्री कहा जाता है।

मां ब्रह्मचारिणी

दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी के बाएं हाथ में कमण्डल और दाएं हाथ में जप की माला रहती है।

 

तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा के मस्तक में घण्टे के आकार का अर्धचन्द्र है, इसलिए मां के इस रूप को चंद्रघण्टा कहा जाता है।

मां कुष्मांडा

 

चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा अराधना की जाती है। इनकी पूजा करने से भक्तों को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति व सुख की प्राप्ति होती है।

मां स्कंदमाता

पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा  होती है। मां स्कंदमाताकमल के आसन पर विराजमान होती हैं इसलिए इन्हें पद्मासन देवी भी कहा जाता है। 

मां कात्यायनी

 

छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। महर्षि कात्यायन की पुत्री होने के कारण ही इनका नाम कात्यायनी पड़ा। 

मां कालरात्रि

सातवां दिन मां कालरात्रि को पूजा जाता है। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश और ग्रह बाधाओं को दूर करने वाली हैं। 

मां महागौरी

अष्टमी के दिन मां महागौरी यानी मां दुर्गा की अराधना होती है। इनकी पूजा-उपासना करने से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं और उन्हे सुख शांति की प्राप्ति होती है।

मां सिद्धिदात्री

 

नवरात्र के नवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां का यह स्‍वरूप नव दुर्गाओं में सबसे अंतिम है। मां सिद्धिदात्री की पूजाउपासना करने वाले भक्तों की सारी इच्‍छाएं पूर्ण होती हैं।

चैत्र नवरात्र से हिंदू नववर्ष भी शुरू होता है इसलिए इनका धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष महत्व है। चैत्र नवरात्रि को आत्‍मशुद्ध‍ि और मुक्‍त‍ि का आधार माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि चैत्र में नवरात्रि में पूजा और उपासना करने से घर की नाकारात्मकता दूर होती है और वातावरण में साकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

नवरात्रि पर कलश-स्थापित करने का शुभ मुहूर्त 18 मार्च को प्रातः 07:35 मिनट से 3:35 मिनट तक रहेगा। 

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