Budget 2025: आजादी से अब तक कितने मंत्रियों ने पेश किए बजट? सर्वाधिक रिकाॅर्ड किसके नाम

डीएन ब्यूरो

वित्त मंत्री निर्मला सीतारण आज 01 फरवरी 2025 को बजट पेश करने वाली हैं। डाइनामाइट न्यूज़ पर पढ़े आजादी से अब तक बजट का इतिहास

आजादी से अब तक कितने मंत्रियों ने पेश किए बजट
आजादी से अब तक कितने मंत्रियों ने पेश किए बजट


नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारण 01 फरवरी 2025 को आम बजट पेश करने वाली हैं। स्वतंत्रता के बाद देश का पहला बजट नवंबर 1947 में पेश किया गया था। हालांकि लगातार एक साथ आठ बजट पेश करने का रिकॉर्ड निर्मला सीतारमण के नाम होने जा रहा है। भारत की आजादी से अब तक की यात्रा में कई वित्त मंत्रियों ने अर्थव्यवस्था को वर्तमान स्तर पर लाने में अहम भूमिका निभाई है। अनेक बार कई प्रधानमंत्रियों ने भी आम बजट पेश किए। 

आइए जानते हैं कि आजादी से अब तक कितने मंत्रियों ने आम बजट पेश किए और अब तक में सबसे अधिक बार किसने बजट पेश किया। 

रामासामी कंदासामी शनमुखम (15 अगस्त 1947 17 अगस्त 1948)

रामासामी कंदासामी शनमुखम चेट्टी स्वतंत्र भारत के पहले वित्त मंत्री थे। उन्होंने देश का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को पेश किया था। 

जॉन मथाई (22 सितंबर, 1948 - 1 जून, 1950)

जॉन मथाई देश के दूसरे वित्त मंत्री बने। उनके कार्यकाल के दौरान पंचवर्षीय योजनाएं शुरू की गईं। उन्होंने योजना आयोग की बढ़ती शक्ति के विरोध में इस्तीफा दे दिया था।

चिंतामन द्वारकानाथ देशमुख (1 जून, 1950-1 अगस्त, 1956)

चिंतामन द्वारकानाथ देशमुख ने 1951-52 के लिए पहला अंतरिम बजट पेश किया। उन्होंने निगम कर सहित सभी करों में समग्र वृद्धि और सभी आयकर और सुपर-टैक्स दरों पर 5 प्रतिशत सरचार्ज लगाने का प्रस्ताव रखा था।

टीटी कृष्णमाचारी (30 अगस्त, 1956-14 फरवरी, 1958; 31 अगस्त, 1963-31 दिसंबर, 1965)

टीटी कृष्णमाचारी ने संपत्ति कर और व्यय कर की शुरुआत की। उनके कार्यकाल में आईडीबीआई, डीवीसी जैसी बड़ी पीएसयू की स्थापना हुई। मुंद्रा घोटाले में नाम आने के बाद वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा।

जवाहरलाल नेहरू ने कब-कब वित्त मंत्रालय संभाला (1 अगस्त, 1956 30 अगस्त, 1956; 14 फरवरी, 1958 - 22 मार्च, 1958)

जवाहरलाल नेहरू केंद्रीय बजट पेश करने वाले पहले प्रधानमंत्री थे। उन्होंने उपहार कर की शुरुआत की थी। नेहरू ने वित्त मंत्री क तौर पर संपदा शुल्क अधिनियम में कुछ संशोधनों का भी प्रस्ताव रखा था।

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मोरारजी देसाई (22 मार्च, 1958-31 अगस्त, 1963; 13 मार्च, 1967 - 16 जुलाई, 1969)

सबसे अधिक 10 बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की स्थापना की, जीवनसाथी भत्ते को हटाया, जिसके बाद पति और पत्नी व्यक्तिगत करदाता बने।

सचिंद्र चौधरी (1 जनवरी, 1966-13 मार्च, 1967)
सचिंद्र चौधरी ने व्यय कर समाप्त किया था। उन्होंने बजट भाषण में कहा, इससे होने वाली आय बहुत कम है, जो प्रशासन पर पड़ने वाले बोझ और करदाता को होने वाली असुविधा लिहाज से सही नहीं है।

इंदिरा गांधी (16 जुलाई, 1969 - 27 जून, 1970)
प्रधानमंत्री के रूप में वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाला। 1970-71 के अपने बजट भाषण में उन्होंने कहा, ऐसी नीतियां आवश्यक हैं जो विकास की अनिवार्यताओं को जरूरतमंदों और गरीबों की भलाई की चिंता के साथ जोड़ती हों। 

यशवंतराव चव्हाण (27 जून, 1970-10 अक्टूबर, 1974)
यशवंतराव चव्हाण ने सामान्य बीमा कंपनियों और कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण किया था। उनके कार्यकाल के दौरान अर्थव्यवस्था मंदी में चली गई।

चिदंबरम सुब्रमण्यम (10 अक्टूबर, 1974 - 24 मार्च, 1977)
चिदंबरम सुब्रमण्यम ने ईएसआई, ईपीएफ और पारिवारिक पेंशन जैसी योजनाएं स्थापित कीं। उन सरकारी कर्मचारियों को लाभ पहुंचाने के लिए एक प्रोत्साहन बोनस योजना शुरू की, जो अपने भविष्य निधि खातों से कोई राशि नहीं निकालते थे।

हीरुभाई एम. पटेल (26 मार्च, 1977 - 24 जनवरी, 1979)
पहले गैर-कांग्रेसी वित्त मंत्री ने अब तक का सबसे छोटा बजट भाषण दिया है, जिसमें केवल 800 शब्द थे। उन्होंने भारत में कारोबार करने वाली विदेशी कंपनियों में भारतीय कंपनियों की 50 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने की नीति पेश की।

चरण सिंह (24 जनवरी, 1979 - 16 जुलाई, 1979)
1979-80 के अपने बजट भाषण में उन कार्यक्रमों पर गति और जोर देने प्रस्ताव रखा जिनका कृषि विकास और रोजगार को बढ़ावा देने पर वास्तविक प्रभाव पड़ता है। उन्होंने एफएमसीजी पर भारी उत्पाद शुल्क लागू किया।

हेमवती नंदन बहुगुणा (28 जुलाई, 1979 - 19 अक्टूबर, 1979)
रहे जिन्हें अपने कार्यकाल के दौरान कभी बजट पेश करने का मौका नहीं मिल सका। हेमवती नंदन बहुगुणा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे।

आर. वेंकटरमन (14 जनवरी, 1980 - 15 जनवरी, 1982)
आर. वेंकटरमन ने देश का वित्त मंत्री रहते हुए जीवन रक्षक दवाओं, साइकिलों, सिलाई मशीनों और प्रेशर कुकरों पर उत्पाद शुल्क में छूट दी। उन्होंने रेडियो पर लाइसेंस शुल्क भी हटाया। आगे चलकर वे देश के राष्ट्रपति भी बने।

प्रणब मुखर्जी (15 जनवरी, 1982-31 दिसंबर, 1984; 24 जनवरी, 2009 - 26 जून, 2012)
इंदिरा, राजीव और मनमोहन सरकार में वित्त मंत्री रहे। खाद्य सुरक्षा विधेयक पेश किया गया। उन्होंने घाटा कम करने के लिए सरकारी खर्च में भी कमी की। वे देश के राष्ट्रपति भी बने।

वी.पी. सिंह (31 दिसंबर, 1984-24 जनवरी, 1987)
लघु उद्योग विकास बैंक की घोषणा इनके कार्यकाल में की गई। उन्होंने कई गरीब हितैषी योजनाएं शुरू कीं, जैसे सफाईकर्मियों के लिए दुर्घटना बीमा योजना और रिक्शा चालकों के लिए सब्सिडी वाले बैंक ऋण।

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राजीव गांधी (24 जनवरी, 1987 - 25 जुलाई, 1987)
प्रधानमंत्री रहते हुए वित्त मंत्रालय संभाला। कॉर्पोरेट टैक्स पेश किया। 1987-88 के बजट भाषण में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आवास के लिए एक व्यापक कार्यक्रम शुरू करने का प्रस्ताव रखा।

एन डी तिवारी (25 जुलाई, 1987 - 25 जून, 1988)
एनडी तिवारी ने निर्यात से होने वाले लाभ पर 100 प्रतिशत आयकर छूट प्रदान की। उन्होंने मशीनरी और कच्चे माल के आयात को बढ़ावा देने के लिए निर्यात ऋण पर ब्याज दर को 12 प्रतिशत से घटाकर 9 प्रतिशत कर दिया।

शंकरराव बी. चव्हाण (25 जून, 1988 - 2 दिसंबर, 1989)
इनके कार्यकाल में जवाहरलाल नेहरू रोजगार योजना नामक ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम शुरू हुआ। इनके कार्यकाल में ही म्यूचुअल फंड और निवेश से होने वाली आय को एक निश्चित सीमा तक कर से छूट दी गई थी।

मधु दंडवते (5 दिसंबर, 1989-10 नवंबर, 1990)
घरेलू व्यापार को विनियमित करने वाले स्वर्ण नियंत्रण अधिनियम को समाप्त किया गया। जिस समय दंडवते ने वित्त विभाग का कार्यभार संभाला, उसी समय शेयर बाजार नियामक सेबी की स्थापना की गई।

यशवंत सिन्हा (21-11-1990 से 21-6-1991; 19-3-1998 से 1-7-2002)
1991 में अपने अंतरिम बजट में आर्थिक सुधारों की आधारशिला रखी थी। यशवंत सिन्हा बाद में अटल बिहार वाजपेयी की सरकार में वित्त मंत्री बने। उन्होंने आईटी क्षेत्र के लिए कर छूट को समाप्त कर दिया।

मनमोहन सिंह (21-6-1991 से 16-5-1996; 30-11-2008 से 24-1-2009; 26-6-2012 से 31-7-2012)
उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण नीति से देश के बाजार को खोला। इससे विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ाने, राजकोषीय घाटे को कम करने में देश को मदद मिली।

जसवंत सिंह (16-5-1996-1-6-1996; 1-7-2002-22-5-2004)
जसवंत सिंह के नाम सबसे कम समय तक वित्त मंत्री रहने का रिकॉर्ड है। 1996 में अटल जी की 16 दिन की सरकार के वित्त मंत्री रहे। हालांकि, बाद में फिर अटल सरकार में वित्त मंत्री बनाए गए।

पी. चिदंबरम (1 जून, 1996-21 अप्रैल, 1997; 1 मई, 1997-19 मार्च, 1998; 23 मई, 2004-30 नवंबर, 2008; 31 जुलाई, 2012-26 मई, 2014)
बढ़ते राजकोषीय घाटे से निपटने के लिए कर सुधार शुरू किए। इनके कार्यकाल के दौरान प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) योजना शुरू की गई। मनरेगा की शुरुआत हुई।

आईके गुजराल ( 21 अप्रैल, 1997 - 1 मई, 1997)
इन्द्र कुमार गुजराल 1997-1998 के दौरान देश के प्रधानमंत्री रहे। गुजराल कैबिनेट में प्रधानमंत्री के पास विदेश और वित्त मंत्रालय जैसे अहम मंत्रालयों का भी प्रभार था।

अरुण जेटली (26 मई 2014 - 30 मई 2019)
नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में वित्त मंत्री रहे। जीएसटी और नोटबंदी उनके कार्यकाल के दो बड़े फैसले थे। 2017 में उन्होंने फरवरी के आखिरी कार्य दिवस पर बजट पेश करने की परंपरा को बदल दिया और इसे 1 फरवरी को पेश किया।

पीयूष गोयल (23 जनवरी, 2019 15 फरवरी, 2019)
पीयूष गोयल ने 2018 और 2019 में वित्त मंत्री का अतिरिक्त प्रभार संभाला। उन्होंने 1 फरवरी, 2019 को अरुण जेटली की अनुपस्थिति में अंतरिम बजट पेश किया। करदाताओं को ₹12,500 की राहत दी थी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारण (31 मई, 2019 - अब तक)
इंदिरा गांधी के बाद दूसरी महिला वित्त मंत्री हैं। सीतारमण ने 5 जुलाई, 2019 को अपना पहला बजट भाषण पेश किया। अब तक लगातार सात बजट पेश किए हैं- छह वार्षिक बजट और एक अंतरिम बजट। यह उनका आठवां बजट है।

 










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