बिहार विधानसभा के नए चुने गए भाजपा के नंद किशोर यादव, जानिए उनके बारे में

डीएन ब्यूरो

भाजपा के वरिष्ठ नेता नंद किशोर यादव बृहस्पतिवार को निर्विरोध बिहार विधानसभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

बिहार विधानसभा के नए चुने गए भाजपा के नंद किशोर यादव
बिहार विधानसभा के नए चुने गए भाजपा के नंद किशोर यादव


पटना: भाजपा के वरिष्ठ नेता नंद किशोर यादव  (Nand Kishore Yadav) बृहस्पतिवार को निर्विरोध बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) के अध्यक्ष निर्वाचित हुए।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव नए अध्यक्ष को आसन तक ले गए।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार  नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने नंद किशोर यादव को बधाई देते हुए कहा, ‘‘आप (अध्यक्ष) एक अनुभवी नेता हैं। मैं आपको निर्वाचित होने पर बधाई देता हूं। सभी विधायकों ने आपको समर्थन दिया है। मुझे यकीन है कि आप सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों को सुनेंगे।’’

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तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने उम्मीद जताई कि नए अध्यक्ष विपक्ष की बात भी सुनेंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘आप बहुत वरिष्ठ नेता हैं और मुझे यकीन है कि आप निष्पक्ष रहकर विपक्ष की बात भी सुनेंगे।’’

उपमुख्यमंत्रियों सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने भी नंद किशोर यादव को बधाई दी।

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चौधरी ने कहा, ‘‘आप हमारे वरिष्ठ नेता हैं और गुरु गोविंद सिंह जी की भूमि से संबंध रखते हैं। इसके लिए हम सभी अपने केंद्रीय नेतृत्व के आभारी हैं।’’

पटना साहिब विधानसभा क्षेत्र से सात बार विधायक रहे नंदकिशोर यादव ने अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अवध बिहारी चौधरी के अध्यक्ष पद से हटने के बाद नामांकन दाखिल किया था। चौधरी को मंगलवार को अविश्वास प्रस्ताव के बाद पद छोड़ना पड़ा था। चौधरी के पद से हटने के बाद उपाध्यक्ष और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता महेश्वर हजारी सदन की कार्यवाही का संचालन कर रहे थे।

पटना साहिब निर्वाचन क्षेत्र का नाम उस स्थान पर स्थित सिख गुरूद्धारा के नाम पर रखा गया है जहां 10वें गुरु का जन्म हुआ था।

नंद किशोर यादव ने अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत 1978 में 1982 में पटना नगर निगम के पार्षद के तौर पर की और बाद में पटना के उप महापौर बने।

यादव 1995 में पहली बार विधायक चुने गए और कई बार नीतीश कुमार सरकार में मंत्री रह चुके हैं।

बिहार विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए यादव के निर्वाचन को नयी सरकार में अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी), अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और उच्च जातियों के बीच संतुलन बनाने के भाजपा के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।










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