दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव को लेकर सामने आई बड़ी अपडेट

डीएन ब्यूरो

दिल्ली विश्वविद्यालय में तीन साल के अंतराल के बाद इस साल सितंबर में छात्र संघ चुनाव कराये जाने की संभावना है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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नयी दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय में तीन साल के अंतराल के बाद इस साल सितंबर में छात्र संघ चुनाव कराये जाने की संभावना है। विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने सोमवार को पीटीआई-भाषा से कहा, ''हम सितंबर में चुनाव कराने की योजना बना रहे हैं। हमें उम्मीद है कि इस साल के अंत तक चुनाव संपन्न होगें।'

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डीयूएसयू) अधिकांश कॉलेजों और संकायों के छात्रों का मुख्य प्रतिनिधि निकाय है। इसके अलावा, प्रत्येक कॉलेज का अपना छात्र संघ होता है, जिसके चुनाव हर साल होते हैं।

डीयूएसयू चुनाव, विश्वविद्यालय और सदस्य कॉलेजों के छात्रों द्वारा प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से आयोजित किए जाते हैं। आमतौर पर चुनाव का आयोजन अगस्त और सितंबर महीने में होता है।

छात्र संघ चुनाव में 500 पदों के लिए करीब 2500 छात्र चुनाव लड़ते हैं, जिसमें लगभग एक लाख छात्र मतदान करते हैं।

चुनाव कराए जाने को लेकर अधिकारियों की सराहना करते हुए डीयूएसयू के अध्यक्ष अक्षित दहिया ने कहा, 'यह लोकतंत्र का छोटा स्वरूप है। हालांकि, मैं कहूंगा कि यह दुनिया में सबसे बड़ा छात्र निकाय चुनाव है। यह एक रचनात्मक अभ्यास है।'

उन्होंने कहा, 'आखिरी चुनाव सितंबर 2019 में हुए थे। पिछले साल चुनाव नहीं हो सके थे क्योंकि स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों के लिए प्रवेश देर से शुरू हुआ और फिर परीक्षाएं हुईं।'

चुनाव कराने के लिए विश्वविद्यालय के कदमों की प्रशंसा करते हुए वामदल समर्थित छात्रसंघ आइसा की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष अभिज्ञान ने पीटीआई-भाषा से कहा कि उन्हें उम्मीद है कि विश्वविद्यालय इस प्रक्रिया के दौरान अलोकतांत्रिक गतिविधियों को कम करने पर काम करेगा।

अभिज्ञान ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि यह एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव होगा और विश्वविद्यालय धन के अत्यधिक उपयोग को रोककर इसे और अधिक लोकतांत्रिक बनाने पर काम करेगा।'

उन्होंने कहा कि संगठन को चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है।

उन्होंने कहा, '2014 से पहले, एनएसयूआई और एबीवीपी मुख्य समूह थे, लेकिन हम छात्रों के साथ काम कर रहे हैं और तब से कई आंदोलनों का नेतृत्व कर रहे हैं।'










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