बड़ी पड़ताल: DM और SP नहीं बनते मंत्री के एजेंट तो टल जाती दस लोगों की मौत?

मनोज टिबड़ेवाल आकाश

डाइनामाइट न्यूज़ ने एक बड़ी पड़ताल की और यह जानने की कोशिश की कि आखिर लखीमपुर खीरी हिंसा के पीछे की कहानी क्या है? हमारी खोजबीन में यह तथ्य निकलकर सामने आया कि किसानों के अंदर ही अंदर इस वजह से सुलग रही थी आग? एक्सक्लूसिव रिपोर्ट:

लखीमपुर खीरी हिंसा में कई किसानों की मौत
लखीमपुर खीरी हिंसा में कई किसानों की मौत


नई दिल्ली: 26 सितम्बर को केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री और लखीमपुर खीरी के भाजपा सांसद अजय मिश्र टेनी ने एक भड़काऊ और विवादित भाषण किसानों को लेकर दिया।

आरोप है कि गुस्से में किसानों ने मंत्री को काला झंडा दिखाया। इसके बाद मानो मंत्री आपा खो बैठे और डीएम व एसपी उनके एजेंट बन काम करने लगे।

मंत्री की रची साजिश में उनके कार्यकर्ता बन डीएम और एसपी मंत्री के कहे मुताबिक काला झंडा दिखाने वाले किसानों के खिलाफ एक के बाद एक एफआईआऱ लिखते गये।

यहां तक बात रहती तो शायद गनीमत रहती। मंत्री का जी, इससे भी नहीं भरा। उन्होंने अपने सत्ताधारी एजेंटों यानि डीएम और एसपी को हुक्म दिया कि रातों-रात नामजद किसानों को गिरफ्तार करो।

अफसरों ने चापलूसी की सारी हदें पार करते हुए जमकर छापेमारी करायी और कई किसानों को गिरफ्तार कर लिया।

इसके बाद किसान अंदर ही अंदर सुलगने लगे। वे मौके की तलाश में थे। तभी उन्हें मौका मिला उप मुख्यमंत्री के दौरे का विरोध करने का। 

पहले उन्होंने हेलीपैड पर कब्जा कर लिया, तब भी ये दोनों सत्ताधारी एजेंट हालात भांपने में बुरी तरह नाकाम रहे। कम फोर्स की मौजूदगी घटना स्थल पर बड़े बवाल का कारण बनी।

नतीजा दस लोगों की मौत। 

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या इन डीएम और एसपी की गिरफ्तारी करने का साहस यूपी सरकार दिखायेगी?

मंत्री का यही भड़काऊ भाषण बना विवाद का कारण


 










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