Big Disclosure In Azamgarh: गैंगस्टर कर रहा था होमगार्ड की नौकरी, 35 साल तक पुलिस को दिया चकमा, जानिए पूरा मामला

यूपी के आजमगढ़ में एक गैंगस्टर का चौंकाने वाला बड़ा मामला सामने आया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 8 January 2025, 4:04 PM IST
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आजमगढ़: यूपी के आजमगढ़ में एक गैंगस्टर का पुलिस की आंखों में धूल झोंकने का मामला सामने आया है। दरअसल 35 वर्षों तक जरायम की दुनिया में सक्रिय रहने के बावजूद भी आरोपी पुलिस की आंखों से बचता रहा। कई अपराधों में संलिप्त आरोपी 35 वर्षों तक पुलिस व इंटेलिजेंस की आंख में धूल झोंकता रहा। वह गैंगस्टर के बाद भी होमगार्ड की नौकरी कर रहा था। 

जानकारी के अनुसार  हत्या, हत्या के मामले में साक्ष्य छुपाने, डकैती जैसी घटनाओं के आरोपी गैंगेस्टर सितंबर 1989 में होमगार्ड में भर्ती हो गया और तब से लेकर 2024 तक जनपद में बेखौफ होकर रानी की सराय और मेंहनगर थाने में नौकरी भी करता रहा। लेकिन हैरानी की बात है कि इस मामले की जानकारी न तो जिले के पुलिस महकमे को हुई और न ही लोकल इंटेलीजेंस को।

मामले की जानकारी देते आजमगढ़ पुलिस अधीक्षक

भनक लगने पर दिसंबर में इस मामले की शिकायत आजमगढ़ मंडल के डीआईजी से की गई। डीआईजी ने जब मामले की जांच कराई तो बातें सत्य पाई गई। जिसके बाद पुलिस ने मामले में मुकदमा दर्ज किया।

आरोपी नकदू उर्फ नंदलाल

हालांकि जिले की पुलिस ने आरोपी के मुकदमें वाली बात को पूरी तरह से छिपाए रखी और मामले में पूरी गोपनीयता भी बरती। हालांकि पुलिस ने अपने मुकदमें में इस बात को लिखा कि नंदलाल आपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति है और आरोपी ने विभाग की छवि को धूमिल करने का काम किया। 

मामले की जानकारी मिलने के बाद होमगार्ड कमांडेंट मनोज सिंह बघेल ने आरोपी होमगार्ड को निलंबित कर दिया है। आरोपी के आपराधिक रिकार्ड को देखते हुए उसके विरूद्ध बर्खास्तगी के लिए शासन को पत्र लिखा जाएगा जिसके आधार पर आरोपी की बर्खास्तगी कराई जाएगी।

गौरतलब है कि रानी की सराय थाना क्षेत्र के चकवारा निवासी नकदू उर्फ नंदलाल पर वर्ष 1984 में हत्या और अपराध के साक्ष्य को छुपाने का मुकदमा दर्ज हुआ। नंदलाल ने 1984 में जहानागंज थाना क्षेत्र के रहने वाले मन्नु यादव की रंजिशन गोली मारकर हत्या कर दी थी। 

दबी जुबान में गांव के लोगों का कहना है कि मुन्नू यादव के बेटे (9) जिसकी डेड बाड़ी तालाब से बरामद हुई। उस मामले में भी नंदलाल उर्फ नकदू ही आरोपी है। इसके साथ ही मन्नु यादव की हत्या के पीछे जो कहानी सामने सामने आई उसमें यह बात सामने आई की मुन्नु यादव अपराध करने वाले अपराधियों से काफी चिढ़ते थे। ऐसे में नंदलाल यादव को इस बात का डर सता रहा था कि कहीं मुन्नू यादव थाने पर शिकायत न कर दें। इसी आंशका को लेकर उसने मुन्नू यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई। 

आरोपी नकदू पर 1987 में डकैती और डकैती के दौरान हत्या करने का भी मुकदमा दर्ज हुआ।

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