बलरामपुर: रंग लाया पुलिस का आपरेशन मुस्कान, कई मासूमों के जीवन में लौटी रंगत
जिले में पुलिस द्वारा चलाये जा रहे ऑपरेशन मुस्कान ने कई मासूमों को नया जीवन दे दिया। मां-बाप समेत अपने सगे-संबंधियों से बिछड़े बच्चों के जीवन में पुलिस का यह अभियान नई खुशियां भर रहा है। अब तक इस अभियान के तहत कई मासूमों को रेसक्यू कर मुख्य धारा में वापस लाया जा चुका है। पूरी खबर..
बलरामपुर: पुलिस विभाग की पहल पर चलाया जा रहा ऑपरेशन मुस्कान कई मासूमों के जीवन में नई रोशनी लेकर आया है। पुलिस की इस नेक पहल के कारण जिले में जुलाई माह में कुल 100 बच्चों के जीवन में खुशियां लौट आयी है इनमें से पुलिस ने 75 बच्चों को बाल मजदूरी से निजात दिलायी। अब ये बच्चे मुख्यधारा से जुड़ गये हैं। मजदूरी से छुटकारा पाकर ये बच्चे अब स्कूल की डगर थामेंगे।
चाइल्ड वर्किंग कमेटी के अध्यक्ष करुरेन्द्र श्रीवास्तव ने डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में बताया कि गौरा थाने के इंचार्ज बीपी यादव, सहयोगी सलीमुद्दीन के साथ इस ऑपरेशन के तहत चार बच्चों को बुधवार को मुख्यधारा में शामिल किया गया। कॉउंसलिंग करने के बाद इन बच्चों को उनके माता-पिता के सुपुर्द कर दिया गया। ये बच्चे किन्ही कारणों से होटलों, ढ़ाबों आदि जगहों पर काम करने को मजबूर थे और अपने घर से बिछड़ गये थे।
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विवश मासूम ने सुनाई आपबीती
जिले के थाना गौरा चौकी क्षेत्र से रेस्क्यू किए गए चार बच्चे भी सीडब्ल्यूसी के ऑफिस में अपने परिजनों के साथ मौजूद थे। बच्चों से जब होटलों पर काम करने की वजह पूछी गयी तो उन्होंने कहा कि यह सब हमारी मजबूरी थी, इसीलिए हम वहां काम करते थे। एक 12 साल के बच्चे ने कहा कि मैं होटल पर अपनी मर्जी से काम नहीं करता था, घर में गरीबी थी और पापा स्कूल में नाम भी नहीं लिखा रहे थे। बच्चे ने कहा कि होटल में उससे सुबह 6 बजे से रात 11 बजे तक काम करवाया जाता था, जिसके एवज में 1000 या 2000 रुपये दिए जाते थे। इसके साथ ही मालिक द्वारा काफी प्रताड़ित भी किया जाता था और मारने-पीटने के साथ-साथ गालियां भी दी जाती थी।
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डाक्टर-पुलिस बनने का सपना
रेसक्यू किये गये जब इस बच्चे से जब पूछा गया कि वह पढ़कर क्या बनना चाहता है? इस सवाल के जबाव में बच्चे ने बताया कि उसकी इच्छा डाक्टर या पुलिस बनकर लोगों की सेवा करने की है।