बलिया: 17वीं पुण्यतिथि पर याद आए पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर, चंद्रशेखर उद्यान में मनाइ गई पुण्यतिथी

डीएन ब्यूरो

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जननायक चंद्रशेखर की 17वी पुण्यतिथी शेखर फाउंडेशन और चंद्रशेखर विचार मंच के तत्वावधान में चंद्रशेखर उद्यान में सोमवार को मनाई गई। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

चंद्रशेखर उद्यान में मनाइ गई पुण्यतिथी
चंद्रशेखर उद्यान में मनाइ गई पुण्यतिथी


बलिया: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जननायक चंद्रशेखर की 17वी पुण्यतिथी  शेखर फाउंडेशन और चंद्रशेखर विचार मंच के तत्वावधान में चंद्रशेखर उद्यान में सोमवार को मनाई गई। इस दौरान वक्ताओं ने उनके प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला।

राष्ट्रनायक चंद्रशेखर के प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित  करते हुए सदस्य विधान परिषद रविशंकर सिंह ने रूँधे हुए गले से कहा कि कुछ लोग बेहद खास होते हुए भी बेहद आम नजर आते हैं। भारतीय राजनीति में ऐसी ही एक शख्सियत थी चंद्रशेखर, जो लोगों को एकदम अपनी सी नजर आती थी। हल्की दाढ़ी से घिरा चेहरा, भविष्य में झाँकती आँखे , जिस्म पर धोती कुर्ता ,पाँव में चप्पल कुल मिला कर खालिस हिन्दुस्तानी अंदाज। उनकी यही खासियत उनका लोगों से सीधा और गहरा जुड़ाव बनाती रही।

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आडम्बर और दिखावे से  कोसों दूर। देशी ठसक के साथ सीधी सपाट बातचीत।चाहे नाराजगी हो या खुशी हमेशा सामने से जाहिर की। मसला राजनीतिक हो या सामाजिक, दो बातों का हमेशा ख्याल रखा एक उसूल और दूसरा मानवीय संवेदना। रिश्तों को जीने में उनका कोई जवाब नहीं था, जिसका हाथ थामा कभी छोड़ा नहीं। लम्बे सियासी सफर में कई साथ आये तो कई ने साथ छोड़ा भी पर उनकी तरफ से कोई गिला नहीं,नकोई शिकवा नहीं। जब मिले वही अंदाज, सामने वाला खुद ब खुद सिमट जाता। ऐसे थे चंद्रशेखर जिनकी शख्सियत से अपनी माटी अपना देश की खुशबू का अहसास होता था। सियासत के शिखर पर होने के बावजूद अपनी जड़ों से गहराई तक जुड़ी ऐसी शख्सियत अब कहाँ।

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इनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार इतिहास की समझ और राष्ट्रीय धरोहरों से ऊर्जा ग्रहण करने की जो तीक्ष्ण दृष्टि चंद्रशेखर में थी वह किसी दूसरे सामयिक नेता में नही। उनके संकल्प और मजबूत इच्छाशक्ति के ही परिणाम है कि सिताबदियारा में जेपी स्मारक, करौधी में राममनोहर लोहिया स्मारक, चंपारण, भीतहरवा में गाँधी आश्रम का जीर्णोद्धार, आचार्य नरेंद्र देव के नाम पर स्मृति-समारोह, लोगों से एक-एक रूपया लेकर कमर भर पानी-कीचड़ पार करते हुए, खुद ही ईट उठाते हुए, सफाई करते हुए, आधी रात तक काम करते हुए, उन पावन स्मृतियों के प्रति सामाजिक उत्तरदायित्व का ऋण और शारीरक श्रम का यह पहलू मौजूदा राजनेताओं में शायद अकेले चंद्रशेखर जी के हिस्से पङा है।

चंद्रशेखर के व्यक्तित्व में ग्रामीण साहस, औदार्य, सरलता और आत्मविश्वास का समन्वय था। मस्तिष्क और ह्रदय का उनका समृद्ध समन्वय उनकी जेल डायरी में निखरा है। इस मौके पर अनिल सिंह , मनोज सिंह ,  सुरेंद्र सिंह एमएलए नागेंद्र पांडेय अनिरुद्ध सिंह , दीपक सिंह , अमित सिंह बघेल , भानु प्रकाश सिंह , तेजा सिंह , विवेक सिंह, दिनेश सिंह, धनंजय कुंवर , करण सरावगी , विशाल माहेश्वरी , सम्राट कुंवर आदि उपस्थित रहे।










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