‘डीपफेक’ के मामले सामने आए, निजता- चुनावी राजनीति पर इसके प्रभाव को लेकर चिंता बढ़ी

डीएन ब्यूरो

इस वर्ष राजनीति से लेकर फिल्मों और यहां तक कि युद्ध में भी यह बात साबित हुई कि इंटरनेट पर जो कुछ भी देखा या सुना जाता है जरूरी नहीं कि वह वास्तविक हो। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

प्रभाव को लेकर चिंता बढ़ी
प्रभाव को लेकर चिंता बढ़ी


नयी दिल्ली: इस वर्ष राजनीति से लेकर फिल्मों और यहां तक कि युद्ध में भी यह बात साबित हुई कि इंटरनेट पर जो कुछ भी देखा या सुना जाता है जरूरी नहीं कि वह वास्तविक हो।

लगातार विकसित हो रही कृत्रिम मेधा (एआई) प्रौद्योगिकी लोगों के जीवन का तेजी से हिस्सा बन रही है लेकिन इस बीच देश में ‘डीपफेक’ के मामलों में तेज बढ़ोतरी ने इसके चुनावी राजनीति, खासकर अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को प्रभावित करने की आशंका को लेकर चिंता पैदा कर दी है।

‘डीपफेक’ वह प्रौद्योगिकी है जिससे एक वीडियो में छेड़छाड़ कर किसी ऐसे व्यक्ति के चेहरे को उसमें फिट किया जाता है जो उस वीडियो का हिस्सा ही नहीं होता। इस तकनीक के माध्यम से छेड़छाड़ कर बनाए गए वीडियो में असली और नकली का अंतर बता पाना मुश्किल होता है। ‘डीपफेक’ के इस्तेमाल से किसी व्यक्ति के बारे में गलत सूचना फैलने और उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचने का खतरा होता है।

अमेरिका स्थित वेब सुरक्षा सेवा कंपनी ‘होम सिक्योरिटी हीरोज’ की ‘2023 स्टेट ऑफ डीपफेक रिपोर्ट’ के अनुसार, 2019 के बाद से ‘डीपफेक’ वीडियो में पांच गुना वृद्धि देखी गई है।

भारत में इस साल ‘डीपफेक’ वीडियो से जुड़े कई मामले देखने को मिले जैसे कि एक वीडियो में ब्रितानी भारतीय सोशल मीडिया ‘इन्फ्लूंजर’ के चेहरे की जगह अभिनेत्री रश्मिका मंदाना का चेहरा लगा दिया था।

इस घटना ने ‘डीपफेक’ के प्रभाव को लेकर देशभर में बहस छेड़ दी और निजता के हनन एवं इससे हो सकने वाले नुकसान को लेकर चिंताएं पैदा कर दीं। ‘डीपफेक’ वीडियो बनाने और उन्हें सोशल मीडिया पर अपलोड करने के आरोप में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया।

केवल मंदाना ही नहीं, बल्कि आलिया भट्ट, काजोल, ऐश्वर्या राय और कैटरीना कैफ जैसी कई अन्य फिल्म अभिनेत्रियों के चेहरे इस्तेमाल कर ‘डीपफेक’ वीडियो बनाए गए।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एआई के उपयोग को लेकर कुछ महीने पहले आगाह करते हुए कहा था कि ‘डीपफेक’ वीडियो बड़े संकट का कारण बन सकते हैं और समाज में असंतोष पैदा कर सकते हैं। उन्होंने मीडिया से इसके दुरुपयोग को लेकर जागरुकता बढ़ाने और लोगों को शिक्षित करने का आग्रह किया था।

उच्चतम न्यायालय के वकील और साइबर सुरक्षा कानून पर अंतरराष्ट्रीय आयोग के अध्यक्ष पवन दुग्गल ने कहा, ‘‘यह एक नई उभरती हुई प्रौद्योगिकी है लेकिन बहुत तेजी से लोगों के जीवन का हिस्सा बन रही है। न केवल साइबर अपराधी, बल्कि चुनावी प्रक्रियाओं समेत सभी प्रकार की मानवीय गतिविधियों में बड़ी संख्या में लोग ‘डीपफेक’ का उपयोग कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि केवल रश्मिका मंदाना, कैटरीना कैफ या आलिया भट्ट जैसे लोग ही इसका शिकार होंगे। हमें जल्द ही यह महसूस होगा कि इंटरनेट के सामान्य उपयोगकर्ता भी ‘डीपफेक’ का शिकार होंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कई अश्लील (पॉर्नोग्राफिक) वेबसाइट पर पहले ही कई ‘डीपफेक वीडियो’ हैं। यह एक बड़ी चुनौती बनने वाली है।’’

यूक्रेन और गाजा जैसे संघर्षों से जुड़े विमर्श को अपने अनुसार मोड़ने के लिए वैश्विक स्तर पर ‘डीपफेक’ का उपयोग किया गया है। भारत में चुनावों में इसके उपयोग की आशंका चिंता का विषय है।

हाल में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान ‘डीपफेक’ वीडियो से न केवल नेताओं को निशाना बनाया गया, बल्कि सार्वजनिक विमर्श को प्रभावित करने का भी प्रयास किया गया। वाई एस शर्मिला और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जैसी सार्वजनिक हस्तियों को निशाना बनाने वाले ‘डीपफेक’ वीडियो चुनावी राजनीति के लिए संभावित खतरे के रूप में उभरे।

अगले साल होने वाले आम चुनावों के मद्देनजर स्थिति की गंभीरता ने कानून निर्माताओं और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित किया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार ‘इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी’ राज्य मंत्री राजीव चन्द्रशेखर ने कहा, ‘‘दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र वाले हमारे जैसे देश के लिए ‘डीपफेक’ और उसके द्वारा पेश की जाने वाली गलत सूचना सुरक्षित, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए निश्चित की बड़ा चिंताजनक मसला है।’’

सरकार ने ‘डीपफेक’ को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच सभी सोशल मीडिया मंचों को आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) संबंधी नियमों का पालन करने का निर्देश दिया है। कंपनियों के लिए उपयोगकर्ताओं को निषिद्ध सामग्री के बारे में स्पष्ट शब्दों में सूचित करना अनिवार्य है।

एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि आईटी मंत्रालय आगामी हफ्तों में सोशल मीडिया और डिजिटल मंचों पर नियमों के अनुपालन को लेकर बारीकी से नजर रखेगा और जरूरत पड़ने पर आईटी नियमों या कानून में और संशोधन करने पर निर्णय लेगा।

साइबर सुरक्षा कंपनी ‘सेक्युरटेक’ के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी पंकित देसाई ने कहा ‘‘भारत सरकार ने महसूस किया है कि डेटा गोपनीयता अधिनियम की आवश्यकता है। यह कानून पहले से है। इसमें अब एआई और ‘डीपफेक’ के संभावित दुरुपयोग को शामिल करने की भी आवश्यकता है ताकि दुनिया भर में इस प्रकार के दुरुयोग से देश के नागरिकों और कॉरपोरेट जगत को बचाया जा सके।’’










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