भारत रत्न के ऐलान बाद राहुल गांधी ने कर्पूरी ठाकुर को इस तरह किया याद

डीएन ब्यूरो

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिग्गज समाजवादी नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मानित किए जाने के फैसले का स्वागत करते हुए बुधवार को कहा कि जाति आधारित जनगणना कराना ही कर्पूरी ठाकुर को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी


नयी दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिग्गज समाजवादी नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मानित किए जाने के फैसले का स्वागत करते हुए बुधवार को कहा कि जाति आधारित जनगणना कराना ही कर्पूरी ठाकुर को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

यह भी पढ़ें: राहुल गांधी ने असम पुलिस को दी ये बड़ी चुनौती

उन्होंने यह भी कहा कि देश को अब ‘सांकेतिक राजनीति’ नहीं बल्कि ‘वास्तविक न्याय’ चाहिए।

यह भी पढ़ें | राहुल गांधी को गुजरात कोर्ट से राहत न मिलने के बाद कांग्रेस ने बनाई ये नई रणनीति, जानिये अगला कानूनी कदम

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार उन्होंने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर पोस्ट किया, ''सामाजिक न्याय के अप्रतिम योद्धा जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को उनकी जन्म शताब्दी पर सादर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। वह निश्चित ही भारत के अनमोल रत्न हैं और उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न दिए जाने के फैसले का स्वागत है।'

राहुल गांधी ने कहा कि 2011 में हुई सामाजिक और आर्थिक जातीय जनगणना के नतीजों को भाजपा सरकार द्वारा छिपाना और राष्ट्रव्यापी जनगणना के प्रति उनकी उदासीनता सामाजिक न्याय के आंदोलन को कमज़ोर करने का प्रयास है।

उन्होंने कहा कि भागीदारी न्याय ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के पांच न्यायों में से एक प्रमुख न्याय और सामाजिक समानता का केंद्र बिंदु है, जिसकी शुरुआत सिर्फ जातिगत जनगणना के बाद ही हो सकती है।

यह भी पढ़ें | संसद भवन के उद्घाटन को लेकर जानिये क्या बोले कांग्रेस नेता राहुल गांधी

यह भी पढ़ें: राम मदिंर पर राहुल गांधी का बड़ा बयान, पढ़िये पूरी खबर

राहुल गांधी ने कहा, 'सही मायने में यही कदम जननायक कर्पूरी ठाकुर जी और पिछड़ों और वंचितों के अधिकारों के लिए उनके संघर्षों को सच्ची श्रद्धांजलि भी होगा। देश को अब ‘सांकेतिक राजनीति’ नहीं बल्कि ‘वास्तविक न्याय’ चाहिए।'










संबंधित समाचार