पटना चिड़ियाघर में 15 साल की बाघिन की मौत, जानिये पूरा अपडेट

पटना शहर में स्थित संजय गांधी जैविक उद्यान में एक बीमार बाघिन की इलाज के दौरान मौत हो गई है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 21 August 2023, 6:55 PM IST
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पटना:  पटना शहर में स्थित संजय गांधी जैविक उद्यान में एक बीमार बाघिन की इलाज के दौरान मौत हो गई है।

बिहार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग (डीईएफसीसी) के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव वार्डन पीके गुप्ता ने  बताया, “बाघिन (15 वर्ष) की मेडिकल रिपोर्ट से पता चलता है कि पिछले हफ्ते हृदय गति रुक जाने से उसकी मौत हुई। हालांकि, विसरा रिपोर्ट आने के बाद मौत का सही कारण पता चलेगा। विसरा शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के बरेली में स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) भेजा गया था।'

उन्होंने कहा, “डीईएफसीसी के अधिकारी एक अगस्त को बीमार बाघिन (विशिष्ट पहचान यूआईडी संख्या -8) को बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान वाल्मिकी टाइगर रिजर्व (वीटीआर) से पटना के चिड़ियाघर लाए थे। मैसूर चिड़ियाघर (कर्नाटक) के डॉक्टरों समेत वरिष्ठ पशु चिकित्सकों की टीम उसके स्वास्थ्य पर कड़ी नजर रख रही थी। हमारी पूरी कोशिशों के बावजूद बाघिन को बचाया नहीं जा सका। प्रारंभिक रिपोर्ट से पता चला है कि बाघिन प्रोटोजोअन संक्रमण से पीड़ित थी।'

गुप्ता ने कहा कि बाघिन का ऊपर का दांत भी टूट गया था।

उन्होंने कहा कि जब बाघिन को बेहतर इलाज के लिए वीटीआर से पटना चिड़ियाघर लाया गया था तो डीईएफसीसी ने पहले ही राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) को सूचित कर दिया था।

एनटीसीए केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है। यह 'प्रोजेक्ट टाइगर' का संचालन करता है। इसकी स्थापना 2006 में संशोधित वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के सक्षम प्रावधानों के तहत की गई थी ताकि बाघ संरक्षण को और बेहतर बनाया जा सके।

बिहार के एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान वीटीआर में बाघों की संख्या में 75 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। 2018 में इनकी संख्या 31 थी, जो 2022 में बढ़कर 54 हो गई।

गुप्ता ने कहा, “29 जुलाई, 2023 को एनटीसीए और भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, वीटीआर में बाघों की संख्या में 75 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। 2018 में इनकी संख्या 31 थी, जो 2022 में बढ़कर 54 हो गई।'

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