

गौतम गंभीर ने भारतीय क्रिकेट टीम के कोच के रूप में सफेद गेंद क्रिकेट में शानदार शुरुआत की है, जबकि टेस्ट फॉर्मेट में उनका प्रदर्शन मिला-जुला रहा है। उन्होंने युवाओं पर भरोसा जताते हुए टीम में नए चेहरों को मौका दिया है और तीनों फॉर्मेट के लिए एक ही कप्तान की सोच को भी आगे बढ़ाया है।
गौतम गंभीर और शुबमन गिल (Img: Internet)
New Delhi: गौतम गंभीर ने भारतीय क्रिकेट टीम के हेड कोच के रूप में अपना कार्यकाल मजबूत शुरुआत के साथ शुरू किया है, खासकर सफेद गेंद क्रिकेट में। उनकी रणनीतियों और स्पष्ट सोच ने टीम को कई सीरीज़ में जीत दिलाई है। हालांकि, टेस्ट फॉर्मेट में उनका कार्यकाल अब तक मिला-जुला रहा है। हाल ही में इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज़ ड्रॉ हुई, जिसके बाद गंभीर के चेहरे पर आत्मविश्वास जरूर झलक रहा था। यह संकेत देता है कि वह टीम को नई दिशा में ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
गौतम गंभीर के कोचिंग कार्यकाल के अगले दो साल बेहद चुनौतीपूर्ण और निर्णायक होने वाले हैं। सबसे पहले टीम इंडिया को एशिया कप 2025 खेलना है, इसके बाद टी20 वर्ल्ड कप 2026 और वनडे वर्ल्ड कप 2027 जैसे बड़े टूर्नामेंट्स होंगे। इसके साथ-साथ, भारत को विश्व टेस्ट चैंपियनशिप 2025–27 की रेस में भी खुद को बनाए रखना होगा। इन सभी टूर्नामेंट्स के लिए गंभीर को खिलाड़ियों के चयन और नेतृत्व को लेकर कड़े फैसले लेने होंगे, विशेषकर सीनियर खिलाड़ियों रोहित शर्मा और विराट कोहली के भविष्य को लेकर।
गौतम गंभीर ने इस साल साफ तौर पर कहा था कि वे तीनों फॉर्मेट में एक ही कप्तान के साथ काम करना चाहते हैं, जिससे टीम में स्थिरता बनी रहे। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि भारत जैसा देश, जहाँ सालभर क्रिकेट चलता रहता है, वहाँ ऐसा कप्तान ढूँढना आसान नहीं है। इन अटकलों के बीच, शुभमन गिल का नाम सबसे आगे है। इंग्लैंड के खिलाफ बतौर कप्तान अपना पहला टेस्ट ड्रॉ कराने वाले गिल को गंभीर ने पसंद किया है।
वहीं, वनडे फॉर्मेट में रोहित शर्मा का भविष्य अनिश्चित है। अगर वह 2027 वर्ल्ड कप तक खेलते भी हैं, तो यह तय नहीं कि वे कप्तान बने रहेंगे या नहीं। इसी तरह टी20 टीम की कमान सूर्यकुमार यादव के पास है, लेकिन गंभीर की एक कप्तान वाली सोच के चलते भविष्य में गिल को तीनों फॉर्मेट की जिम्मेदारी दी जा सकती है।
गंभीर के कोच बनने के बाद यह साफ दिखा है कि वह युवा खिलाड़ियों को तरजीह दे रहे हैं। टी20 टीम में अभिषेक शर्मा, तिलक वर्मा, संजू सैमसन और अर्शदीप सिंह जैसे खिलाड़ियों ने खुद को साबित किया है। टेस्ट टीम में गिल और यशस्वी जायसवाल जैसे युवा भरोसेमंद नाम बन चुके हैं। वहीं, साई सुदर्शन, आकाशदीप और नितीश रेड्डी को भविष्य के लिए तैयार किया जा रहा है।
वनडे टीम में अभी भी रोहित, विराट और जडेजा जैसे सीनियर खिलाड़ी हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद इन खिलाड़ियों को लेकर कुछ बड़े फैसले लिए जा सकते हैं।
गौतम गंभीर ने कोच के रूप में अब तक संतुलित और साहसिक फैसले लिए हैं। सफेद गेंद क्रिकेट में उनकी रणनीति सफल रही है, जबकि टेस्ट में आगे और मेहनत की जरूरत है। अगर उनकी “एक कप्तान” की सोच और युवाओं पर विश्वास इसी तरह जारी रहा, तो वे भारतीय टीम को अगले स्तर पर ले जा सकते हैं।