

अगर आपने कभी दुकान पर “PhonePe से ₹100 प्राप्त हुए” जैसी आवाज़ सुनी है, तो ये केवल एक सूचना नहीं, बल्कि एक कमाई का जरिया है। PhonePe, Paytm और अन्य डिजिटल पेमेंट कंपनियां इन वॉयस स्पीकर्स को दुकानदारों को किराए पर देती हैं। हर महीने दुकानदारों से लगभग ₹100 किराया वसूला जाता है।
प्रतीकात्मक फोटो (सोर्स: इंटरनेट)
New Delhi: आज के डिजिटल युग में हम में से ज्यादातर लोग रोजाना Google Pay, PhonePe या इसी तरह के अन्य डिजिटल वॉलेट ऐप्स के माध्यम से पेमेंट करते हैं। हर ट्रांजैक्शन के लिए न कोई चार्ज, न कोई कमीशन। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये कंपनियां जो अपनी सेवा लगभग मुफ्त में देती हैं, पिछले साल 5,065 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई कैसे कर पाई?
असल में UPI आधारित पेमेंट तो इन कंपनियों के बिज़नेस का सिर्फ एक छोटा हिस्सा है। इनके कमाई के असली स्रोत कुछ और हैं, जो आम यूजर्स की नज़र से छिपे रहते हैं। आइए जानते हैं इनका बिजनेस मॉडल विस्तार से।
वॉयस स्पीकर्स से करोड़ों की कमाई
अगर आपने कभी दुकान पर “PhonePe से ₹100 प्राप्त हुए” जैसी आवाज़ सुनी है, तो ये केवल एक सूचना नहीं, बल्कि एक कमाई का जरिया है। PhonePe, Paytm और अन्य डिजिटल पेमेंट कंपनियां इन वॉयस स्पीकर्स को दुकानदारों को किराए पर देती हैं। हर महीने दुकानदारों से लगभग ₹100 किराया वसूला जाता है।
देशभर में लगभग 50 लाख से ज्यादा दुकानें इन स्पीकर्स का उपयोग कर रही हैं। अगर हम गणित करें तो
₹100 × 50 लाख = ₹50 करोड़ प्रति माह
सालाना = ₹600 करोड़
सिर्फ एक सर्विस से इतनी भारी कमाई होती है। ये स्पीकर न केवल पेमेंट की पुष्टि करते हैं, बल्कि ब्रांड की विश्वसनीयता बढ़ाने में भी मदद करते हैं।
यूजर्स के लिए खुशी, ब्रांड्स के लिए विज्ञापन
डिजिटल पेमेंट ऐप्स का एक और बड़ा कमाई का जरिया है स्क्रैच कार्ड्स। जब भी आप पेमेंट करते हैं, आपको कभी कैशबैक तो कभी डिस्काउंट कूपन मिलता है। ये रिवॉर्ड्स यूजर को तो आकर्षित करते ही हैं, लेकिन असल कमाई तो ब्रांड्स से होती है। ब्रांड्स इन कंपनियों को बड़ी रकम देते हैं ताकि उनका प्रमोशन इन स्क्रैच कार्ड्स के जरिए करोड़ों यूजर्स तक पहुंचे। इससे ब्रांड की एंगेजमेंट बढ़ती है और डिजिटल पेमेंट कंपनियों को विज्ञापन से भारी रेवेन्यू मिलता है।
लोन और SaaS सर्विसेस: डिजिटल ऐप्स का नया चेहरा
आज के समय में Google Pay, PhonePe जैसे ऐप्स केवल पेमेंट का माध्यम नहीं रहे। ये छोटे व्यवसायों के लिए एक कंप्लीट बिजनेस सॉल्यूशन बन गए हैं। ये ऐप्स अब GST रिपोर्टिंग, इनवॉइसिंग और खासकर छोटे लोन देने जैसी सुविधाएं भी प्रदान करते हैं। यूजर्स जो UPI का इस्तेमाल करते हैं, वे धीरे-धीरे इन ऐप्स की बाकी सर्विसेस जैसे लोन, बिल भुगतान और मोबाइल रिचार्ज आदि का भी उपयोग करने लगते हैं। इसके बदले ये कंपनियां प्लेटफॉर्म फीस और लोन से ब्याज के जरिए अच्छी कमाई करती हैं।