

ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दौरान 29 जून को हुई भीषण भगदड़ की घटना में अब प्रशासनिक जांच निर्णायक मोड़ पर पहुंच रही है। इस हादसे में तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी, जबकि करीब 50 लोग घायल हो गए थे। अब तक 147 लोगों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें पुलिसकर्मी, स्टाफ और आम नागरिक शामिल हैं। जांच समिति 30 जुलाई को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।
पुरी भगदड़ कांड मामले में बड़ा अपडेट (सोर्स इंटरनेट)
Puri: ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दौरान 29 जून को हुई भीषण भगदड़ की घटना में अब प्रशासनिक जांच निर्णायक मोड़ पर पहुंच रही है। इस हादसे में तीन श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी, जबकि करीब 50 लोग घायल हो गए थे। अब तक 147 लोगों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें पुलिसकर्मी, स्टाफ और आम नागरिक शामिल हैं। जांच समिति 30 जुलाई को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।
भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की वापसी यात्रा के दौरान जब रथ श्री गुंडिचा मंदिर से निकलने को थे, तभी मंदिर परिसर के बाहर भक्तों की अचानक अत्यधिक भीड़ उमड़ पड़ी। सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई और भीड़ बेकाबू होकर भगदड़ में बदल गई। अफरा-तफरी के इस मंजर में कई श्रद्धालु जमीन पर गिर गए और कुछ गंभीर रूप से कुचले गए। इस घटना के बाद पुरी के तत्कालीन जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को तत्काल निलंबित कर दिया गया और एक उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन किया गया।
जांच का नेतृत्व कर रही हैं राज्य की विकास आयुक्त एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव अनु गर्ग, जो मामले में गहराई से जांच कर रही हैं। उन्होंने बताया कि “हमने पुरी और भुवनेश्वर दोनों स्थानों पर चार चरणों में गवाहों के बयान दर्ज किए हैं। अब तक कुल 147 लोगों के बयान लिए जा चुके हैं। इसमें आम नागरिकों के अलावा, पुलिस अधिकारी और इंटीग्रेटेड कमांड सेंटर के स्टाफ भी शामिल हैं।” बुधवार को भुवनेश्वर स्थित स्पेशल सर्किट हाउस में 42 लोगों ने अपने बयान दर्ज कराए। इससे पहले की सुनवाई में 17 लोग बयान दे चुके थे।
जांच समिति 30 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगी, जिसमें यह स्पष्ट होगा कि आखिर सुरक्षा व्यवस्था में कहां चूक हुई? भीड़ नियंत्रण की रणनीति क्यों फेल हुई? स्थानीय प्रशासन और पुलिस की जिम्मेदारी क्या थी? भविष्य में ऐसी घटनाओं से कैसे निपटा जाए?
पुरी की रथ यात्रा देश ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। इस आयोजन में हर साल लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं, ऐसे में सुरक्षा और व्यवस्थापन किसी भी चुनौती से कम नहीं होता। 29 जून की घटना ने यह साबित कर दिया कि भीड़ प्रबंधन में बड़ी खामी थी। अब सभी की नजरें अनु गर्ग की अगुवाई वाली समिति की रिपोर्ट पर हैं, जो तय करेगी कि गलती किसकी थी और आगे की कार्रवाई क्या होगी। यह सिर्फ एक प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं की सुरक्षा से जुड़ा सवाल है।