Shri Mahakaleshwar Ujjain: महाकाल के गर्भगृह में 20 साल बाद ऐतिहासिक बदलाव, चमक-दमक उठा बाबा का दरबार

उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में दो दशकों बाद गर्भगृह का द्वार बदला गया है। जयपुर के कारीगरों द्वारा निर्मित 25 किलो चांदी के भव्य द्वारों की स्थापना विधि-विधान से की गई, जिससे बाबा महाकाल का दरबार और दिव्य हो उठा।

Updated : 16 December 2025, 8:54 AM IST
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Bhopal: मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए एक ऐतिहासिक और भावनात्मक क्षण देखने को मिला। लगभग 20 वर्षों के बाद मंदिर के गर्भगृह के द्वार को बदला गया है, जिससे बाबा महाकाल का दरबार और अधिक भव्य व दिव्य स्वरूप में नजर आने लगा है। यह परिवर्तन रविवार को विधि-विधान के साथ संध्या आरती के दौरान संपन्न हुआ, जब करीब 25 किलो शुद्ध चांदी से निर्मित नए द्वार को गर्भगृह के प्रवेश द्वार पर स्थापित किया गया।

मंदिर प्रशासन के अनुसार, यह बदलाव पूरी धार्मिक परंपराओं और शास्त्रीय विधियों के अनुरूप किया गया। नए चांदी के द्वार की स्थापना से पहले इसका सभामंडप में विशेष पूजन किया गया, जिसके बाद मंत्रोच्चार और आरती के बीच इसे गर्भगृह में स्थापित किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में पुजारी और मंदिर कर्मचारी मौजूद रहे।

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मंदिर के वरिष्ठ पुजारी भूषण व्यास ने बताया कि गर्भगृह के द्वार को करीब दो दशक बाद बदला गया है। पुराने द्वार के स्थान पर लगाए गए इस नए द्वार को जयपुर के अनुभवी कारीगरों ने बड़ी मेहनत और बारीकी से तैयार किया है। चूंकि महाकालेश्वर मंदिर का गर्भगृह अंदर और बाहर दोनों ओर से पत्थर की संरचना वाला है, इसलिए दरवाजे को बेहद सटीक माप और संतुलन के साथ डिजाइन किया गया।

Shri Mahakaleshwar Ujjain

बाबा महाकाल के गर्भगृह में नई भव्यता (फोटो सोर्स- इंटरनेट)

इस भव्य चांदी के द्वार को कोलकाता की श्रद्धालु निभा प्रकाश ने बनवाया है। बताया गया कि द्वार लकड़ी के मजबूत आधार पर चांदी की मोटी परत चढ़ाकर तैयार किया गया है, ताकि इसकी मजबूती और दीर्घायु बनी रहे। मौजूदा बाजार दरों के अनुसार, दोनों द्वारों की कुल अनुमानित लागत 50 लाख रुपये से अधिक आंकी जा रही है।

मंदिर प्रबंध समिति के सहायक प्रशासक आशीष फलवाड़िया ने जानकारी दी कि द्वार के ऊपरी हिस्से में भगवान शिव के वाहन नंदी की दो सुंदर आकृतियां उकेरी गई हैं। इनके नीचे पवित्र ‘ॐ’ और त्रिशूल के चिह्न बनाए गए हैं, जो शिव तत्व का प्रतीक माने जाते हैं। द्वार के निचले भाग में कलश की आकृति उकेरी गई है, जो शुभता, समृद्धि और मंगल का प्रतीक है। इन सभी प्रतीकों ने द्वार को आध्यात्मिक और कलात्मक दृष्टि से अत्यंत विशेष बना दिया है।

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गौरतलब है कि श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा बड़े दान देने की परंपरा पुरानी रही है। देश-विदेश से आने वाले भक्त अपनी श्रद्धा और आस्था के अनुसार बाबा महाकाल को सोना, चांदी और अन्य बहुमूल्य वस्तुएं अर्पित करते हैं। कुछ महीने पहले ही गाजियाबाद के एक भक्त ने बाबा महाकाल को सवा किलो चांदी का मुकुट भेंट किया था, जिसने भी श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित किया था।

नए चांदी के द्वार की स्थापना के बाद श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह देखा जा रहा है। भक्तों का कहना है कि बाबा महाकाल का दरबार अब पहले से कहीं अधिक दिव्य और आकर्षक प्रतीत हो रहा है। मंदिर प्रशासन को उम्मीद है कि यह बदलाव न सिर्फ श्रद्धालुओं की आस्था को और मजबूत करेगा, बल्कि महाकालेश्वर मंदिर की धार्मिक और सांस्कृतिक गरिमा को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।

Location : 
  • Bhopal

Published : 
  • 16 December 2025, 8:54 AM IST

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