

महागठबंधन में सीटों का बंटवारा अभी नहीं हो पाया है। कांग्रेस ने 70-75 सीटों पर दावेदारी की है, जबकि आरजेडी कम देने के लिए तैयार है। वाम दलों और वीआईपी को भी कुछ सीटें मिल सकती हैं, लेकिन यह गठबंधन में विवाद का कारण बन सकता है।
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव
Patna: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारी के बीच महागठबंधन के दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर अब तक कोई ठोस समझौता नहीं हो पाया है। सूत्रों के मुताबिक, महागठबंधन के प्रमुख दलों में आरजेडी, कांग्रेस, वीआईपी और वाम दलों के बीच सीटों को लेकर गंभीर मतभेद हैं। कांग्रेस इस बार अधिक सीटों पर दावा कर रही है, जबकि आरजेडी और अन्य दलों का कहना है कि कांग्रेस को कम सीटें ही मिल सकती हैं। इस बीच तेजस्वी यादव भी गणित बैठाकर सीटों के बंटवारे पर विचार कर रहे हैं।
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन अब कांग्रेस को महज 50-55 सीटें मिलने का अनुमान है। सूत्रों के मुताबिक, महागठबंधन में सीटों के बंटवारे के दौरान आरजेडी कांग्रेस को 48 से अधिक सीटें देने के पक्ष में नहीं है। कांग्रेस का मानना है कि पिछले चुनाव में जिन सीटों पर उसे नजदीकी हार का सामना करना पड़ा था, उन्हें इस बार फिर से दिया जाए। इसके लिए कांग्रेस ने एक नई सीट फॉर्मूला तैयार किया है।
बिहार महागठबंधन
कांग्रेस ने सीटों को लेकर नया फॉर्मूला पेश किया है, जिसमें तीन कैटेगरी बनाई गई हैं।
1. A कैटेगरी: इसमें वे सीटें शामिल हैं, जहां कांग्रेस को पिछले चुनाव में 5 से 10 हजार वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था।
2. B कैटेगरी: इस कैटेगरी में वे सीटें शामिल हैं, जहां कांग्रेस को 10 से 15 हजार वोटों से हार मिली थी।
3. C कैटेगरी: इस कैटेगरी में वे सीटें रखी गई हैं, जहां कांग्रेस 15 से 20 हजार वोटों के अंतर से हारी थी।
कांग्रेस का कहना है कि इस फॉर्मूला के आधार पर उसे 70-75 सीटों पर दावा करने का अधिकार है। हालांकि, आरजेडी इस मांग को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है और उसे केवल 48-50 सीटें देने के पक्ष में है।
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आरजेडी के नेताओं का कहना है कि उन्हें 125-130 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का अधिकार है। पार्टी ने विधानसभा चुनाव में अच्छे परिणामों की उम्मीद जताई है। इसके अलावा, वाम दलों को 30 से 35 सीटें, वीआईपी को 18 से 20 सीटें और अन्य छोटे दलों को कुछ सीटें मिल सकती हैं।
वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) को 18-20 सीटें मिल सकती हैं, जिससे पार्टी को चुनाव में फायदा हो सकता है। इसके अलावा, आरएलजेपी और जेएमएम को क्रमशः 3-4 और 2-3 सीटें मिलने की संभावना है। हालांकि, इन दलों का प्रभाव बिहार की राजनीति में सीमित है, लेकिन ये महागठबंधन के घटक दलों के रूप में महत्वपूर्ण बने हुए हैं।
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महागठबंधन में सीटों के बंटवारे पर चल रही चर्चा में यदि कोई समझौता नहीं होता, तो यह गठबंधन की एकता के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। कांग्रेस का कहना है कि उसे कम सीटें नहीं मिलनी चाहिए, जबकि आरजेडी का कहना है कि उन्हें अधिक सीटों की जरूरत है। अब देखना होगा कि क्या महागठबंधन के नेता इस स्थिति का समाधान निकाल पाते हैं या नहीं।