पश्चिम बंगाल विधानसभा में हंगामा: भाजपा और तृणमूल के बीच झड़प, ममता बनर्जी भड़कीं

पश्चिम बंगाल विधानसभा में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच हंगामा हुआ। भाजपा के शंकर घोष घायल हुए और निलंबित कर दिए गए। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्ष पर तीखा हमला किया, जबकि भाजपा ने लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाया।

Post Published By: ईशा त्यागी
Updated : 4 September 2025, 3:18 PM IST
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West Bengal: पश्चिम बंगाल विधानसभा में गुरुवार को जमकर हंगामा हुआ, जिसमें भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के विधायकों के बीच धक्का-मुक्की और हाथापाई तक की घटनाएं हुईं। इस दौरान भाजपा के चीफ व्हिप और मुख्य सचेतक डॉ. शंकर घोष घायल हो गए। हालात इतने बिगड़े कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को खुद विधानसभा में हस्तक्षेप करना पड़ा।

क्या हुआ और कब बिगड़े हालात?

सूत्रों के अनुसार, जब भाजपा विधायक और मुख्य सचेतक शंकर घोष को निलंबित किया गया और उन्हें विधानसभा से बाहर निकालने के लिए मार्शल बुलाए गए, तो हालात पूरी तरह बिगड़ गए। भाजपा के विधायकों ने आसन के सामने आकर नारेबाजी शुरू कर दी। कार्यवाही बाधित करने की कोशिश की गई। तृणमूल कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार भाजपा शासित राज्यों में बंगाली प्रवासी कामगारों पर हमलों की निंदा प्रस्ताव पारित करने की कोशिश कर रही थी।

पश्चिम बंगाल विधानसभा में हंगामा

ममता बनर्जी का आरोप और तंज

हंगामे के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्षी विधायकों पर हमला किया। उन्होंने कहा कि भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बंगाल विरोधी और बंगालियों के उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने भाजपा को भ्रष्टों और वोट चोरों की पार्टी करार दिया। ममता ने कहा कि भाजपा ने संसद में उनके सांसदों को परेशान करने के लिए सीआईएसएफ का इस्तेमाल किया। इसके साथ ही ममता ने चेतावनी दी कि मेरे शब्दों को याद रखिए, एक दिन ऐसा आएगा जब इस सदन में भाजपा का एक भी विधायक नहीं बैठेगा। लोग आपको सत्ता से बाहर कर देंगे। केंद्र में पीएम मोदी और अमित शाह के नेतृत्व वाली सरकार जल्द ही गिर जाएगी।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने विधानसभा में हुए हंगामे को लोकतंत्र की हत्या करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी और उनके प्रशासन ने लोकतंत्र की अवहेलना की। शुभेंदु अधिकारी ने बंगाली में एक पोस्ट में लिखा कि आज पश्चिम बंगाल विधानसभा में लोकतंत्र की हत्या करने वाली ममता और उनके गुलाम प्रशासन की ओर से लोकतंत्र की हत्या कर दी गई। विपक्ष का आरोप है कि विधायकों को बोलने का अधिकार नहीं दिया गया और प्रस्ताव को रोका गया।

हंगामे के कारण

हंगामे की जड़ें राजनीतिक तनाव और विपक्षी प्रस्तावों में हैं। भाजपा ने विधानसभा में प्रस्ताव रखा कि भंगाली प्रवासी कामगारों पर हमले की निंदा की जाए। तृणमूल कांग्रेस ने इसे भाजपा विरोधी बयानबाजी मानते हुए कार्यवाही बाधित की। शंकर घोष के निलंबन और बाहर निकाले जाने के दौरान विधायकों के बीच संघर्ष हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा में राजनीतिक ध्रुवीकरण और गर्मजोशी ने हंगामे को भड़काया।

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