

उपराष्ट्रपति धनखड़ का अचानक इस्तीफा सतह पर स्वास्थ्य कारण बताता है, लेकिन विपक्ष इसे गहराई में छिपे राजनीतिक मतभेद और संभावित दबाव की पटकथा मान रहा है। जानिये विपक्ष के किस नेता ने क्या बोला
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (सोर्स- इंटरनेट)
New Delhi: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक पद से इस्तीफे की खबर ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। विपक्ष ने इस अप्रत्याशित घटनाक्रम पर सवाल उठाते हुए इसे केवल स्वास्थ्य कारणों से जुड़ा न मानकर इसके पीछे किसी बड़ी योजना की आशंका जताई है।
मोदी धनखड़ को मन बदलने के लिए मनाएं: जयराम
बता दें कि कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, "इस इस्तीफे में जो दिख रहा है, उससे कहीं अधिक छिपा हुआ है। वह चाहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी धनखड़ से बात करें और उन्हें इस्तीफा वापस लेने के लिए मनाएं। यह राष्ट्रहित में होगा, विशेष रूप से कृषक समुदाय के लिए राहतकारी होगा।"
रमेश ने बताया कि उन्होंने शाम 5 बजे तक धनखड़ से मुलाकात की थी और 7:30 बजे फोन पर भी बातचीत हुई थी, जिससे यह संकेत मिलता है कि कुछ गंभीर हुआ है। रमेश ने यह भी बताया कि उपराष्ट्रपति ने मंगलवार दोपहर 1 बजे कार्य मंत्रणा समिति की बैठक बुलाई थी और न्यायपालिका से जुड़ी कुछ बड़ी घोषणाएं भी प्रस्तावित थीं। ऐसे में उनका अचानक इस्तीफा चौंकाने वाला है।
विपक्ष के अन्य नेताओं की प्रतिक्रियाएं
1. शिवसेना (UBT) नेता आनंद दुबे ने इस फैसले को हैरान करने वाला बताते हुए कहा कि यदि इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य होता, तो उसे सत्र से पहले या बाद में दिया जा सकता था।
2. सीपीआई सांसद पी. संदोष कुमार ने इसे "अत्यंत अप्रत्याशित" बताया और संभावना जताई कि उपराष्ट्रपति हालिया घटनाओं से असंतुष्ट हो सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि संभव है राष्ट्रपति इस्तीफा स्वीकार न करें।
3. कांग्रेस सांसद जेबी माथेर ने बताया कि धनखड़ ने 21 जुलाई की सुबह राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता की थी और इसी दिन इस्तीफा देना बहुत चौंकाने वाला कदम है। उन्होंने उनके स्वास्थ्य की कामना भी की।
4. कांग्रेस नेता दानिश अली ने कहा कि "धनखड़ के इस्तीफे के पीछे सिर्फ स्वास्थ्य कारण नहीं हो सकते। खबरें थीं कि भाजपा के कुछ वरिष्ठ नेता उनके पद की गरिमा का सम्मान नहीं कर रहे थे। न्यायपालिका से जुड़े मुद्दों पर सरकार से उनके मतभेद भी सामने आए थे।
5. कांग्रेस नेता सुखदेव भगत ने तो इस इस्तीफे को राजनीति से जोड़ते हुए कहा कि राजनीति में कुछ भी अचानक नहीं होता, सब कुछ पहले से तय होता है। उन्होंने संकेत दिया कि यह बिहार चुनाव से पहले कोई रणनीतिक कदम हो सकता है और इसमें प्रधानमंत्री व गृह मंत्री की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता।
क्या है आगे की राह?
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उनका इस्तीफा स्वीकार करेंगी या उन्हें मनाने की कोई कोशिश की जाएगी? साथ ही अगर इस्तीफा स्वीकार होता है तो नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया कब से शुरू होगी?
धनखड़ के इस्तीफे की पृष्ठभूमि में जो राजनीतिक, संवैधानिक और प्रशासनिक सवाल उठ खड़े हुए हैं, वे आने वाले दिनों में संसद के मानसून सत्र को भी प्रभावित कर सकते हैं। इस बीच देशभर में इस घटनाक्रम पर नजरें टिकी हैं।