बिहार में BJP का यादव कार्ड: एमपी सीएम मोहन यादव को मैदान में उतारा, RJD के गढ़ में सेंधमारी की तैयारी!

बिहार चुनाव 2025 में बीजेपी ने नया दांव चलते हुए मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को चुनावी मैदान में उतारा है। यादव वोट बैंक पर सीधी पकड़ बनाने और RJD के गढ़ को चुनौती देने की कोशिश की जा रही है। पटना में हुए यादव महासभा के कार्यक्रम से बीजेपी ने सियासी संदेश दे दिया है।

Post Published By: Asmita Patel
Updated : 15 September 2025, 11:09 AM IST
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Patna: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का चुनावी तापमान दिन-ब-दिन चढ़ता जा रहा है। एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच सियासी मुकाबला अब सीधी टक्कर में बदल गया है। इसी रणनीति के तहत बीजेपी ने अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को बिहार की राजनीति में उतारकर नया सियासी समीकरण बनाने की शुरुआत कर दी है।

पटना में हुआ ‘यादव महासभा’ का आयोजन

14 सितंबर को डॉ. मोहन यादव ने पटना में ‘यादव महासभा’ नामक बड़े सामाजिक-सांस्कृतिक आयोजन में हिस्सा लिया, जिसमें बिहार के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। मंच पर बीजेपी के कई चेहरे जैसे कि ओबीसी आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर, विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव, छत्तीसगढ़ के मंत्री गजेंद्र यादव और विधायक संजीव चौरेसिया ने शिरकत की। इस कार्यक्रम को सिर्फ सामाजिक नहीं, बल्कि एक राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है। मंच से भगवान कृष्ण, चाणक्य, सम्राट अशोक और नालंदा विश्वविद्यालय जैसे ऐतिहासिक-धार्मिक प्रतीकों का उल्लेख कर बीजेपी ने यह दिखाने की कोशिश की कि पार्टी बिहार की सांस्कृतिक पहचान से जुड़ चुकी है।

एमपी सीएम मोहन यादव

एमवाई समीकरण को तोड़ने की कवायद

पिछले तीन दशकों से बिहार की राजनीति में "एमवाई समीकरण" यानी मुस्लिम-यादव वोट बैंक, RJD की ताकत रहा है। लेकिन 2025 के चुनाव में बीजेपी इस समीकरण को तोड़ने और नया "वाय (Y)" समीकरण गढ़ने की कोशिश कर रही है। यानी यादवों को साधकर बीजेपी न केवल RJD की नींव कमजोर करना चाहती है, बल्कि NDA में यादव समाज को निर्णायक भूमिका में लाने की रणनीति पर भी काम कर रही है। राजनीतिक विश्लेषक रवि शेखर के अनुसार बीजेपी अब सामाजिक इंजीनियरिंग की नई रणनीति पर काम कर रही है। मोहन यादव जैसे चेहरे को फ्रंट पर लाकर पार्टी ने स्पष्ट संकेत दिया है कि अब लालू यादव की विरासत को सीधी चुनौती दी जाएगी।

डॉ. मोहन यादव की बिहारियों से भावनात्मक अपील

अपने भाषण में डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मैं भी एक सामान्य कार्यकर्ता से मुख्यमंत्री बना हूं। भगवान कृष्ण की धरती से आया हूं और बिहार की ऐतिहासिकता को सम्मान देने आया हूं। हम सब भारतीय हैं, जाति-पाति से ऊपर उठकर राष्ट्र निर्माण में भागीदार हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि राम मंदिर, उज्जैन की अवंतिका नगरी और बिहार का सूर्य मंदिर सांस्कृतिक रूप से जुड़ाव के उदाहरण हैं। यह सीधा संदेश था धार्मिक-सांस्कृतिक चेतना और राजनीतिक रणनीति का संगम।

वंशवाद बनाम सामान्य कार्यकर्ता की जंग

मोहन यादव का बार-बार खुद को 'साधारण कार्यकर्ता' बताना, लालू यादव परिवार के वंशवाद पर सीधा हमला है। यह आरजेडी के उस नैरेटिव को चुनौती देता है, जहां नेतृत्व सिर्फ एक ही परिवार के इर्द-गिर्द घूमता है।यहां तक कि डॉ. मोहन यादव ने निसादराज सम्मेलन में मछुआरा समुदाय को भी साधने की कोशिश की थी जो 45 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर असर डालता है। इसका मतलब साफ है कि बीजेपी अब बिहार में जातीय गणित को फिर से परिभाषित करने पर उतारू है।

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