

TCS और ट्रेंट के शेयरों में 2025 में 25% से ज्यादा की गिरावट आई है, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ। ग्लोबल मंदी, AI का असर और कमजोर तिमाही नतीजे इसके बड़े कारण हैं।
टाटा ग्रुप की दिग्गज कंपनियां आईटी और रिटेल दोनों में धराशायी
New Delhi: साल 2025 अब तक टाटा ग्रुप की दो प्रमुख कंपनियों- टीसीएस (TCS) और ट्रेंट (Trent)- के लिए शेयर बाजार में सबसे चुनौतीपूर्ण साल साबित हो रहा है। जहां एक ओर आईटी दिग्गज टीसीएस के शेयरों में 25% की गिरावट दर्ज की गई है, वहीं रिटेल सेक्टर की मजबूत कंपनी ट्रेंट के शेयर लगभग 30% तक लुढ़क गए हैं। ये दोनों ही कंपनियां निफ्टी 50 का हिस्सा हैं और आमतौर पर निवेशकों की पसंद बनी रहती हैं, लेकिन मौजूदा आर्थिक और तकनीकी हालात ने इनकी रफ्तार को थाम दिया है।
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) भारत की सबसे बड़ी और सबसे मुनाफेदार आईटी कंपनियों में गिनी जाती है। बीते दशकों में टीसीएस ने निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न दिए हैं- करीब 800% तक। आमतौर पर यह कहा जाता है कि टीसीएस का शेयर हर पांच साल में निवेशकों का पैसा दोगुना कर देता है। लेकिन इस साल कंपनी के प्रदर्शन ने निवेशकों को चिंतित कर दिया है।
टीसीएस के शेयर में गिरावट के प्रमुख कारण
अमेरिका और यूरोप के क्लाइंट्स द्वारा खर्चों में कटौती, जिससे नए प्रोजेक्ट्स की संख्या में गिरावट आई।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की तेजी से बढ़ती भूमिका ने पारंपरिक आईटी सेवाओं की मांग को प्रभावित किया है।
12,000 कर्मचारियों की छंटनी ने यह संकेत दिया कि कंपनी लागत में कटौती के गंभीर मोड में है।
हालिया तिमाही नतीजे उम्मीद से कमजोर रहे, जिससे निवेशकों का भरोसा डगमगाया।
ब्रोकरेज फर्म एलारा कैपिटल ने टीसीएस का टारगेट प्राइस 3820 रुपये से घटाकर 3780 रुपये कर दिया है। वहीं गोल्डमैन सैक्स ने भी टीसीएस की रेटिंग को डाउनग्रेड किया है।
प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
टाटा ग्रुप की रिटेल कंपनी ट्रेंट लिमिटेड, जो 'Westside' और 'Zudio' जैसे ब्रांड्स का संचालन करती है, इस साल सबसे ज्यादा नुकसान में रही कंपनियों में से एक रही है। करीब 30% की गिरावट के साथ ट्रेंट के शेयरों ने निवेशकों को बड़ा नुकसान दिया है।
रिटेल क्षेत्र में उपभोक्ताओं की खर्च करने की शक्ति में कमी, हाई इन्वेंटरी और बढ़ती लागत जैसे कारकों ने कंपनी के मुनाफे पर दबाव डाला है। साथ ही, उच्च वैल्यूएशन के चलते भी ट्रेंट पर सेलिंग प्रेशर बना हुआ है।
हालांकि टीसीएस के प्रबंधन का मानना है कि FY 2025-26 में अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मांग में सुधार हो सकता है और कंपनी का प्रदर्शन पिछली तिमाही की तुलना में बेहतर रह सकता है। अगर वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता में कुछ स्थिरता आती है और AI को लेकर स्पष्टता बढ़ती है, तो IT सेक्टर में रिकवरी संभव है।
ट्रेंट के मामले में, त्योहारी सीजन और उपभोक्ता मांग में वापसी कंपनी के लिए राहत ला सकती है, लेकिन इसके लिए समय लगेगा।
टाटा ग्रुप की दोनों प्रमुख कंपनियों- टीसीएस और ट्रेंट- ने इस साल निवेशकों को बड़ी हानि दी है। गिरावट के पीछे वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, तकनीकी बदलाव, और सेक्टोरल दबाव जैसे कई कारण हैं। हालांकि ये कंपनियां अपनी-अपनी इंडस्ट्री में मजबूत स्थिति रखती हैं, लेकिन मौजूदा हालात में सतर्कता जरूरी है।