

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में परिषदीय स्कूलों के विलय को लेकर 21 अगस्त को अहम सुनवाई होगी। सीतापुर के स्कूलों में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश पहले ही दिया जा चुका है। मामले की समीक्षा प्रक्रिया जारी है।
स्कूलों के विलय मामले में आज हाईकोर्ट में सुनवाई
Prayagraj: उत्तर प्रदेश में परिषदीय स्कूलों के विलय को लेकर उठे विवाद की सुनवाई आज 21 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में होने जा रही है। मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ इस अहम मामले की सुनवाई कर सकती है।
सीतापुर के स्कूलों में यथास्थिति का आदेश
इससे पहले, हाईकोर्ट ने 24 जुलाई को सीतापुर जिले के स्कूलों के विलय पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। कोर्ट ने साफ किया था कि यह अंतरिम आदेश केवल विलय प्रक्रिया की समीक्षा के लिए दिया जा रहा है, न कि राज्य सरकार की नीति या निर्णय की मेरिट पर कोई टिप्पणी है।
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सीतापुर के बच्चों और अभिभावकों की याचिकाएं
इस मामले में पहली विशेष अपील सीतापुर के 5 छात्रों ने और दूसरी अपील 17 बच्चों के अभिभावकों ने दाखिल की थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. एलपी मिश्र और गौरव मेहरोत्रा ने दलीलें पेश की हैं, जबकि राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता अनुज कुदेसिया और मुख्य स्थाई अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह ने पैरवी की है।
एकल पीठ ने पहले याचिकाएं की थीं खारिज
गौरतलब है कि इससे पहले 7 जुलाई को न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकल पीठ ने सीतापुर के 51 छात्रों द्वारा दाखिल याचिकाओं को खारिज कर दिया था। ये याचिकाएं 16 जून को जारी उस आदेश को चुनौती देती थीं, जिसमें प्राथमिक स्कूलों को उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में विलय का निर्णय लिया गया था।
क्या है सरकार की नीति?
राज्य सरकार का तर्क है कि कम संख्या वाले स्कूलों को शैक्षिक गुणवत्ता और संसाधनों के समुचित उपयोग के लिए निकटवर्ती उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में विलय किया जाना जरूरी है। यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के उद्देश्य से उठाया गया है।
याचिकाकर्ताओं की आपत्ति
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह विलय बिना पर्याप्त विचार और स्थानीय हालात की समीक्षा के किया गया है। इससे बच्चों को दूरस्थ स्कूलों में जाना पड़ रहा है, जिससे उनकी शिक्षा प्रभावित हो रही है। साथ ही, उन्होंने प्रक्रिया में भारी अनियमितताओं की भी बात कही है।