न्यायमूर्ति अरुण मोंगा के राजस्थान वापसी की सिफारिश, कॉलेजियम के निर्णय का इंतजार; जानिए क्या हो सकता है अंतिम फैसला?

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली हाईकोर्ट में हाल ही में नियुक्त न्यायमूर्ति अरुण मोंगा को फिर से राजस्थान हाईकोर्ट भेजने की सिफारिश की है। कॉलेजियम ने कोई कारण नहीं बताया, जिससे न्यायिक पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

Post Published By: सौम्या सिंह
Updated : 27 August 2025, 6:31 PM IST
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New Delhi: न्यायपालिका से जुड़े फैसलों में शायद ही कभी ऐसा देखने को मिलता है जब किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को महज एक महीने के भीतर दो बार स्थानांतरित कर दिया जाए। लेकिन न्यायमूर्ति अरुण मोंगा के मामले में कुछ ऐसा ही हुआ है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पहले उन्हें राजस्थान उच्च न्यायालय से दिल्ली उच्च न्यायालय स्थानांतरित किया और अब एक महीने के भीतर ही उन्हें फिर से राजस्थान हाईकोर्ट में भेजने की सिफारिश कर दी है।

दिल्ली हाईकोर्ट से फिर राजस्थान?

यह सिफारिश 25 और 26 अगस्त 2025 को कॉलेजियम की बैठकों के बाद की गई है। न्यायमूर्ति मोंगा ने हाल ही में, 21 जुलाई को दिल्ली हाईकोर्ट में शपथ ली थी, जहां वह पांच अन्य न्यायाधीशों के साथ शामिल हुए थे।

इतिहास और करियर पर एक नजर

न्यायमूर्ति अरुण मोंगा का न्यायिक सफर प्रेरणादायक रहा है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा पंजाब में हुई थी, जहां उनके पिता स्वयं एक न्यायिक अधिकारी थे। उन्होंने चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज से विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और फिर पंजाब विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। पढ़ाई के दौरान वे चंडीगढ़ के एक स्कूल में रसायन शास्त्र पढ़ाते भी थे।

उन्होंने 1991 में वकालत शुरू की और 1997-98 में दिल्ली स्थानांतरित हो गए, जहां उन्होंने करीब 20 वर्षों तक वकालत की। इसके बाद अक्टूबर 2018 में उन्हें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में न्यायाधीश नियुक्त किया गया। बाद में 1 नवंबर 2023 को वे राजस्थान हाईकोर्ट में स्थानांतरित हुए।

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तेजी से हुए तबादले क्यों?

सवाल उठता है कि आखिर एक ही महीने में न्यायमूर्ति मोंगा के दो बार स्थानांतरण की सिफारिश क्यों की गई? कॉलेजियम की तरफ से इस बदलाव का कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया गया है। न ही उनके दिल्ली से राजस्थान स्थानांतरण की पृष्ठभूमि में कोई औपचारिक टिप्पणी सामने आई है।

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सूत्रों के अनुसार, न्यायमूर्ति मोंगा ने स्वयं वापस राजस्थान लौटने की इच्छा जताई, जिसके बाद कॉलेजियम ने इस पर विचार किया। हालांकि, इसकी पुष्टि आधिकारिक रूप से नहीं हुई है।

एक और स्थानांतरण की सिफारिश

न्यायमूर्ति अरुण मोंगा के अलावा, कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति तारा वितस्ता गंजू के स्थानांतरण की सिफारिश भी की है। वे दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश हैं और 2022 में पदोन्नत हुई थीं। अब उन्हें कर्नाटक उच्च न्यायालय भेजे जाने की सिफारिश की गई है।

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