Petrol-Diesel Price: क्या बंद हो जाएगा आपके घर का चूल्हा? LPG पर मंडरा रहा संकट

भारत में हर तीन में से दो रसोई गैस सिलेंडर पश्चिम एशिया से आते हैं, लेकिन अब वही स्रोत संकट का कारण बन सकता है। हमलों ने पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ा दिया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 23 June 2025, 7:26 PM IST
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नई दिल्ली: भारत में हर तीन में से दो रसोई गैस सिलेंडर पश्चिम एशिया से आते हैं, लेकिन अब वही स्रोत संकट का कारण बन सकता है। अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हालिया हमलों ने पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ा दिया है। इसका सीधा असर भारत जैसे आयात-निर्भर देशों पर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तनाव के कारण सबसे पहला और गहरा असर घरेलू रसोई घरों में दिख सकता है।

 डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक,  पिछले एक दशक में सरकार द्वारा एलपीजी को बढ़ावा देने की वजह से अब 33 करोड़ भारतीय घरों में एलपीजी का उपयोग हो रहा है। लेकिन इस विस्तार के साथ देश की विदेशी आयात पर निर्भरता भी बढ़ गई है। आज देश में खपत होने वाले कुल एलपीजी का करीब 66% हिस्सा विदेशों से आता है, जिसमें 95% की आपूर्ति सऊदी अरब, यूएई और कतर जैसे देशों से होती है।

सबसे चिंता की बात यह है कि भारत के पास सिर्फ 16 दिनों का एलपीजी स्टॉक है। यह स्टॉक आयात टर्मिनलों, रिफाइनरियों और बॉटलिंग प्लांट्स में सीमित मात्रा में मौजूद है, जो किसी भी आपात स्थिति में देश की जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ होगा।

वहीं, पेट्रोल और डीजल के मामले में भारत की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर है। भारत पेट्रोल का लगभग 40% और डीजल का 30% हिस्सा निर्यात करता है, जिसे जरूरत पड़ने पर घरेलू बाजार की ओर मोड़ा जा सकता है।

एलपीजी की सप्लाई में बाधा आने की स्थिति में अमेरिका, यूरोप या मलेशिया जैसे वैकल्पिक स्रोतों से एलपीजी मंगाने में समय और लागत दोनों ज्यादा लगेंगे। साथ ही, पाइप्ड नेचुरल गैस (PNG) अभी केवल 1.5 करोड़ घरों तक ही पहुंची है, जिससे यह एलपीजी का संपूर्ण विकल्प नहीं बन सकता।

केरोसिन की सार्वजनिक आपूर्ति पहले ही बंद हो चुकी है, ऐसे में अगर एलपीजी की किल्लत होती है, तो बिजली से खाना बनाना ही एकमात्र विकल्प बचेगा। हालांकि, बिजली आधारित रसोई अब भी पूरे देश में व्यावहारिक नहीं मानी जाती।

कच्चे तेल की बात करें तो भारत के पास करीब 25 दिनों का रणनीतिक भंडार मौजूद है, जिससे रिफाइनरियों का संचालन जारी रखा जा सकता है।

सरकार और नीति निर्माताओं के सामने अब एलपीजी सप्लाई की सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती बन चुकी है। आने वाले दिनों में पश्चिम एशिया की स्थिति भारत की रसोई तक को झकझोर सकती है।

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