बिजली निजीकरण के खिलाफ देशभर में हड़ताल, महराजगंज में बिजली कर्मचारियों का धरना प्रदर्शन

देशभर में बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं ने केंद्र और राज्य सरकारों की बिजली क्षेत्र में निजीकरण की नीति के खिलाफ आज एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन किया। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लॉइज एंड इंजीनियर्स के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर 27 लाख से अधिक बिजली कर्मियों ने एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल में भाग लिया।

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 9 July 2025, 6:03 PM IST
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Maharajganj: देशभर में बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं ने केंद्र और राज्य सरकारों की बिजली क्षेत्र में निजीकरण की नीति के खिलाफ आज एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन किया। नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लॉइज एंड इंजीनियर्स के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर 27 लाख से अधिक बिजली कर्मियों ने एक दिवसीय सांकेतिक हड़ताल में भाग लिया। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में भी लगभग एक लाख बिजली कर्मचारी, संविदा कर्मी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता कार्य बहिष्कार कर सड़कों पर उतर आए।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में यह हड़ताल की गई। राजधानी लखनऊ से लेकर जनपद महराजगंज तक बिजली कर्मियों ने सरकार के खिलाफ जोरदार करते हुए निजीकरण का फैसला तुरंत वापस लेने की मांग की।

इस आंदोलन को देशभर के बिजली कर्मचारी संगठनों ने समर्थन दिया है। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स के अध्यक्ष आर. के. त्रिवेदी, इलेक्ट्रिसिटी इंप्लॉइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के महामंत्री सुदीप दत्ता सहित अन्य संगठनों ने कहा कि बिजली का निजीकरण जनविरोधी है और इससे उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।

जनपद महराजगंज में भी विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले भारी संख्या में कर्मचारी धरने पर बैठे। समिति के पदाधिकारियों ई. आशुतोष त्रिपाठी, ई. कृष्ण मुरारी शुक्ल, ई. नीरज दूबे, ई. राजीव नायक, ई. आशुतोष अग्रहरी, राकेश कुमार, उपेंद्र गुप्ता सहित कई अन्य वक्ताओं ने सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सरकार यदि निजीकरण का निर्णय वापस नहीं लेती है, तो यह आंदोलन और भी व्यापक रूप लेगा।

इस हड़ताल को संयुक्त किसान मोर्चा और विभिन्न उपभोक्ता संगठनों ने भी समर्थन दिया है। किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि बिजली कर्मियों का उत्पीड़न किया गया, तो वे भी सड़कों पर उतरने को मजबूर होंगे।

धरने पर बैठे कर्मचारियों ने दो टूक कहा कि यदि सरकार ने उनकी मांगों की अनदेखी की तो राज्य की बिजली आपूर्ति बाधित हो सकती है। उन्होंने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप कर निजीकरण प्रक्रिया को तत्काल रद्द कराने की मांग की है।

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