

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के जिलाधिकारी रवींद्र कुमार की संवेदनशीलता और त्वरित कार्रवाई एक बड़ी मिसाल बन गई है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
जिलाधिकारी रवींद्र कुमार को सभी सराहा
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के जिलाधिकारी रवींद्र कुमार की संवेदनशीलता और त्वरित कार्रवाई एक बड़ी मिसाल बन गई है। प्रयागराज डीएम ने पुराने फर्जी मुकदमों के कारण नौकरी गंवाने की कगार पर पहुंचे हाल ही में चयनित 24 पुलिस अभ्यर्थियों (सिपाही) को न सिर्फ न्याय दिलाया है, बल्कि उनके जीवन की सबसे बड़ी चिंता भी खत्म कर दी है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, बता दें, बुधवार को डीएम दफ्तर पहुंचे अभ्यर्थियों ने अपना दर्द साझा किया था। डीएम रवींद्र कुमार ने इस मामले को गंभीरता से लिया।
दरअसल, ये सभी युवा अभ्यर्थी हाल ही में उत्तर प्रदेश पुलिस में चयनित हुए थे, लेकिन इनके खिलाफ सालों पुराने फर्जी मुकदमे नियुक्ति प्रक्रिया में बाधा बन रहे थे। युवाओं ने बताया कि ज्यादातर मामलों में वे उस समय मौके पर मौजूद भी नहीं थे। कई को बाद में पता चला कि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज है। यह सब निजी रंजिश के कारण हुआ।
जनता दर्शन में सुनवाई के दौरान डीएम रवींद्र कुमार ने मामले को गंभीरता से लिया और तत्काल शासकीय अधिवक्ता को बुलाया। पुलिस में चयनित 24 अभ्यर्थियों को राहत मिली। साथ ही पुलिस अधिकारियों से बात कर त्वरित जांच के आदेश भी दिए। कलेक्ट्रेट में एक विशेष टीम गठित कर सभी 24 अभ्यर्थियों की फाइलों की समीक्षा की गई। जांच में पता चला कि सभी अभ्यर्थियों के मामलों में पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी, लेकिन सिर्फ दस्तावेज प्रक्रिया पूरी न होने की वजह से उनकी नियुक्ति अटकी हुई थी।
डीएम ने तत्परता दिखाते हुए इन सभी मामलों को स्थायी रूप से समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया और जरूरी दस्तावेज तत्काल उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय भेज दिए गए। जिससे इन युवाओं की ट्रेनिंग प्रक्रिया शुरू हो सके। निर्दोष युवाओं को फंसाया गया। इन युवाओं में बहरिया के सराय अजीम गांव के संजय कुमार और हंडिया के हेमापुर गांव के जितेंद्र यादव जैसे अभ्यर्थी भी शामिल थे, जिन्होंने बताया कि वह पढ़ाई के लिए शहर में रह रहे थे, जबकि गांव में विवादों में उनका नाम आ गया था। डीएम की त्वरित कार्रवाई के बाद सभी युवाओं ने राहत की सांस ली है।