भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 698.1 अरब डॉलर, आरबीआई ने दी जानकारी

भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 25 जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह में 2.703 अरब डॉलर बढ़कर 698.192 अरब डॉलर हो गया। विदेशी मुद्रा आस्तियां, स्वर्ण भंडार, और विशेष आहरण अधिकार में भी वृद्धि देखी गई।

Updated : 1 August 2025, 7:47 PM IST
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New Delhi: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 25 जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह में 2.703 अरब डॉलर की बढ़ोतरी के साथ 698.192 अरब डॉलर तक पहुंच गया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को इस आंकड़े की पुष्टि की। इससे पहले पिछले सप्ताह देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.183 अरब डॉलर घटकर 695.489 अरब डॉलर रह गया था।

विदेशी मुद्रा भंडार में 2.7 अरब डॉलर की बढ़ोतरी

आरबीआई के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा भंडार का सबसे बड़ा घटक, यानी विदेशी मुद्रा आस्तियां, 1.316 अरब डॉलर की बढ़ोतरी के साथ 588.926 अरब डॉलर हो गईं। विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में डॉलर के अलावा यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं का भी समावेश होता है, जिनकी घट-बढ़ का असर इस आंकड़े पर पड़ता है।

Foreign Exchange RBI Report

प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)

साथ ही, स्वर्ण भंडार का मूल्य भी 1.206 करोड़ डॉलर बढ़कर 85.704 अरब डॉलर हो गया। यह वृद्धि वैश्विक बाजारों में सोने की कीमतों और केंद्रीय बैंक की खरीदारी को दर्शाती है। स्वर्ण भंडार भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह मुद्रा रिजर्व को स्थिरता प्रदान करता है।

आरक्षित भंडार में भी 5.5 करोड़ डॉलर की वृद्धि

आरबीआई ने यह भी बताया कि विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) में 12.6 करोड़ डॉलर की वृद्धि हुई है, जिससे यह 18.809 अरब डॉलर पर पहुंच गया। एसडीआर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा आवंटित एक अंतरराष्ट्रीय भंडार संपत्ति है, जो सदस्य देशों को उनके मुद्रा संकट से निपटने में सहायता करती है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास भारत के आरक्षित भंडार में भी 5.5 करोड़ डॉलर की वृद्धि हुई है, जो अब 4.753 अरब डॉलर हो गया है। यह भंडार भारत की वैश्विक आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाता है और देश को वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने में मदद करता है।

विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ना देश की आर्थिक स्थिति में सकारात्मक संकेत

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ना देश की आर्थिक स्थिति में सकारात्मक संकेत माना जाता है। इससे यह दर्शाता है कि देश के पास विदेशी मुद्रा के पर्याप्त संसाधन हैं, जो व्यापार और निवेश को सुगम बनाते हैं। बढ़ते भंडार से मुद्रा बाजार में स्थिरता आती है और रुपए की मजबूती होती है।

आरबीआई की इस रिपोर्ट से यह भी संकेत मिलता है कि भारत की आर्थिक नीतियां वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद प्रभावी ढंग से काम कर रही हैं। विदेशी निवेश में बढ़ोतरी, निर्यात में सुधार और विदेशी मुद्राओं की उपलब्धता ने इस वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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Published : 
  • 1 August 2025, 7:47 PM IST