

जमीअत उलमा उत्तराखंड ने लुधियाना में बाढ़ पीड़ितों को बड़ी मदद पहुंचाई है। टीम ने आपदा से जूझ रहे लोगों के बीच जाकर न केवल सहयोग का हाथ बढ़ाया बल्कि यह संदेश भी दिया कि आपदा की घड़ी में कोई भी संगठन पीड़ित परिवार की मदद कर सकता है।
Haridwar: जमीअत उलमा उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष मौलाना मोहम्मद आरिफ के नेतृत्व में एक विशेष टीम आज लुधियाना पहुंची, जहां बाढ़ से प्रभावित परिवारों को राहत सामग्री और आर्थिक सहायता प्रदान की गई। टीम ने आपदा से जूझ रहे लोगों के बीच जाकर न केवल सहयोग का हाथ बढ़ाया बल्कि यह संदेश भी दिया कि आपदा की घड़ी में संगठन हर पीड़ित परिवार के साथ मजबूती से खड़ा है।
टीम ने कुल 6 लाख 22 हजार रुपये की धनराशि और आवश्यक सामग्री पीड़ित परिवारों तक पहुंचाने के लिए सुपुर्द की। इस सहायता कार्य की जिम्मेदारी लुधियाना टीम के सदस्य वसीम को सौंपी गई, जो आगे जरूरतमंद परिवारों तक इस मदद को वितरित करेंगे।
मौलाना मोहम्मद आरिफ ने कहा कि बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं में सबसे ज्यादा नुकसान गरीब और श्रमिक वर्ग को झेलना पड़ता है, ऐसे में हर संभव सहयोग पहुंचाना ही संगठन का उद्देश्य है।
इस अवसर पर संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी भी मौजूद रहे, जिनमें मास्टर एहसान सचिव, मौलाना मोहम्मद हारून जिला अध्यक्ष, मौलाना नसीम अहमद सचिव और मौलाना मोहम्मद अरशद कोषाध्यक्ष शामिल थे। सभी पदाधिकारियों ने एक स्वर में कहा कि जब तक हर जरूरतमंद परिवार तक मदद नहीं पहुंच जाती, तब तक राहत कार्य जारी रहेगा।
प्रभावित परिवारों को मिलेगी बड़ी राहत
जमीअत उलमा के इस कदम से बाढ़ प्रभावित परिवारों में बड़ी राहत महसूस की जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि संगठन की इस मदद से उनके जीवन की कठिनाइयां कुछ हद तक कम होंगी। राहत सामग्री में खाने-पीने का सामान, कपड़े और जरूरी घरेलू वस्तुएं शामिल हैं, वहीं आर्थिक सहायता से पीड़ित परिवार अपनी तत्कालीन जरूरतों को पूरा कर पाएंगे।
संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि यह अभियान केवल लुधियाना तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि जहां-जहां जरूरत होगी, वहां जमीअत उलमा अपनी सहायता पहुंचाएगी। मौलाना मोहम्मद आरिफ ने कहा कि इंसानियत से बढ़कर कोई धर्म नहीं है और पीड़ित परिवारों की मदद करना हर संवेदनशील इंसान का कर्तव्य है।
जमीअत उलमा उत्तराखंड की इस पहल से न केवल बाढ़ प्रभावितों को राहत मिली है बल्कि सामाजिक और धार्मिक संगठनों के लिए भी यह एक प्रेरणा बनी है। संगठन ने स्पष्ट किया कि आगे भी इसी तरह मानव सेवा के कार्य प्राथमिकता से किए जाएंगे।