

बाढ़ से बेहाल उत्तर प्रदेश के किसान एक नई मुश्किल में फंसते जा रहे हैं। खेतों में पानी भरने से सिर्फ फसलें नहीं बर्बाद हो रहीं, बल्कि अब गन्ने पर कीट और रोगों का दोहरा हमला भी शुरू हो गया है। कहीं सफेद मक्खी गन्ने की पत्तियों को चूस रही है, तो कहीं रूट रॉट जड़ों को सड़ा रहा है। किसानों के सामने अब सवाल ये है क्या फसल बचेगी? इसी बीच सरकार ने चुपचाप एक ऐसा कदम उठा लिया है, जो हालात बदल सकता है। जानिए क्या है वो समाधान, जिससे किसानों को मिल सकती है बड़ी राहत…
बाढ़ से परेशान किसानों को मिलेगी बड़ी राहत (फोटो सोर्स गूगल)
Lucknow: उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पिछले कुछ दिनों से मूसलाधार बारिश के चलते बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। खेतों में पानी भरने से फसलें बर्बाद हो रही हैं, जिससे किसान खासे परेशान हैं। सबसे ज्यादा असर गन्ने की फसल पर देखा जा रहा है। बारिश के मौसम में गन्ने की बढ़वार तो तेज़ होती है, लेकिन इसी दौरान कीट और रोगों का खतरा भी बढ़ जाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस मौसम में गन्ने की पत्तियों से रस चूसने वाले कीट खासकर सफेद मक्खी का प्रकोप तेजी से फैल सकता है। यह कीट पत्तियों को नुकसान पहुंचाकर गन्ने की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों को प्रभावित करता है। इसके अलावा जिन क्षेत्रों में पानी उतर चुका है, वहां जड़ विगलन (रूट रॉट) जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं, जो पौधे की जड़ों को सड़ा देती है।
इन्हीं चिंताओं को देखते हुए, उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ना किसानों को राहत पहुंचाने के लिए एक हेल्पलाइन सेवा शुरू की है।
अपर मुख्य सचिव, गन्ना विकास और चीनी उद्योग विभाग, वीना कुमारी ने निर्देश जारी किए हैं कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में किसानों से सीधा संवाद किया जाए और उनकी समस्याओं का जल्द समाधान सुनिश्चित किया जाए।
गन्ना किसानों से अपील की गई है कि वे अपने क्षेत्र में अगर किसी कीट या रोग के लक्षण देखें, तो निकटतम गन्ना समिति या परिषद से संपर्क करें। साथ ही, विभाग द्वारा जारी टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 18001213203 पर तुरंत कॉल करके जानकारी दें, ताकि समय रहते नियंत्रणात्मक उपाय किए जा सकें।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इन कीटों और रोगों पर समय रहते नियंत्रण नहीं पाया गया, तो किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
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राज्य सरकार किसानों को आश्वस्त कर रही है कि वे अकेले नहीं हैं। इस संकट की घड़ी में सरकार हर संभव मदद के लिए तत्पर है। जागरूकता और समय पर प्रतिक्रिया ही गन्ना फसल को बचाने का सबसे कारगर उपाय है।