

चंदौली के सकलडीहा तहसील के बोझवा गांव में गंगा की बाढ़ ने कहर बरपाया। चार दिन बाद पहुंची मदद से पहले 40 दलित परिवार बेघर होकर सड़क पर रातें गुजारने को मजबूर हुए। प्रशासन ने अब राहत चौकी बनाकर सहायता शुरू की है।
गंगा की बाढ़ में फंसे 200 ग्रामीण
Chandauli: जिले की सकलडीहा तहसील का बोझवा गांव गंगा की बाढ़ से टापू में तब्दील हो गया है। पिछले चार दिनों से इस गांव की दलित बस्ती के करीब 40 परिवार बाढ़ के पानी से घिरे हुए थे। करीब 200 लोग मवेशियों के साथ सड़क किनारे शरण लेने को मजबूर हो गए। प्रशासनिक मदद पांचवें दिन जाकर गांव में पहुंची, जब गंगा का पानी लगभग दो फीट नीचे आया।
बोझवा गांव बना टापू, दलित बस्ती बेघर
ग्रामीणों का आरोप है कि चार दिन तक प्रशासन की कोई सुध नहीं ली गई। लोग जैसे-तैसे अपना पेट भर रहे थे। बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही थी। पीड़ितों का कहना है कि जब हालात बदतर हो गए, तब भाजपा नेता सूर्यमुनी तिवारी फल और अन्य आवश्यक सामान लेकर पहुंचे। उन्होंने प्रभावित परिवारों को राहत सामग्री दी और मदद का आश्वासन भी दिया।
गांव में गंगा की बाढ़ ने बरपाया कहर
वहीं, क्षेत्रीय प्रशासन ने स्थिति को देखते हुए बोझवा और आस-पास के गांवों के लिए नई बाढ़ चौकी बनाई है। एसडीएम कुंदन राज कपूर ने बताया कि प्रभावित परिवारों को नई बाढ़ चौकी पर शिफ्ट किया गया है, जहां भोजन, लाइट और स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था की जा रही है। मवेशियों के लिए भी चारे की व्यवस्था कर दी गई है।
ग्रामीणों ने सत्तारूढ़ दलों के नेताओं पर नाराजगी जताई। बोझवा और शेरपुर सरैया गांव के ग्रामीणों ने सपा के वर्तमान विधायक और सांसद पर जमकर गुस्सा निकाला। उन्होंने कहा कि संकट की घड़ी में कोई जनप्रतिनिधि उनकी सुध लेने नहीं आया।
शेरपुर सरैया गांव की स्थिति भी भयावह बनी हुई है। वहां गंगा का पानी लगभग 90% फसलों को बर्बाद कर चुका है। अब जबकि गंगा का जलस्तर कुछ कम हुआ है, लोगों को थोड़ी राहत मिली है लेकिन तबाही का मंजर अभी भी बना हुआ है।
एसडीएम ने बताया कि प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है और शासन स्तर से हरसंभव मदद की व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि यदि बारिश दोबारा नहीं हुई तो स्थिति कुछ हद तक सामान्य हो सकती है।
गौरतलब है कि यह आपदा एक बार फिर से यह सोचने को मजबूर कर रही है कि बाढ़ पूर्व चेतावनी और राहत प्रणाली को और मजबूत करने की जरूरत है। ग्रामीणों की मांग है कि बाढ़ से पूर्व ही आवश्यक व्यवस्थाएं की जाएं ताकि जान-माल की हानि को रोका जा सके।